अरविंद केजरीवाल फिर पहुंचे विपश्यना केंद्र, 10 दिनों तक रहेंगे ध्यान साधना में

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आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक बार फिर विपश्यना साधना में चले गए हैं। इस बार वे पंजाब के होशियारपुर जिले के आनंदगढ़ गांव स्थित धम्म धजा विपश्यना केंद्र में 10 दिनों तक ध्यान करेंगे। यह केंद्र होशियारपुर शहर से लगभग 11 किलोमीटर दूर स्थित है।

विपश्यना से गहरा जुड़ाव

अरविंद केजरीवाल लंबे समय से विपश्यना का अभ्यास कर रहे हैं और पहले भी कई बार इस साधना में शामिल हो चुके हैं। इससे पहले वे जयपुर, नागपुर, धर्मशाला (धर्मकोट) और बेंगलुरु समेत कई स्थानों पर विपश्यना कर चुके हैं। यह दूसरी बार है जब उन्होंने आनंदगढ़ के इस केंद्र को चुना है। इससे पहले उन्होंने दिसंबर 2023 में भी 10 दिन का सत्र लिया था।

विपश्यना, ध्यान की एक प्राचीन भारतीय पद्धति है, जो आत्म-अवलोकन और आत्म-परिवर्तन पर केंद्रित होती है। इसे भगवान बुद्ध की खोजी हुई ध्यान विधि माना जाता है, जो व्यक्ति को मानसिक शांति और आंतरिक संतुलन प्राप्त करने में मदद करती है।

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विपश्यना के प्रति केजरीवाल की सोच

दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान एक पॉडकास्ट में केजरीवाल ने विपश्यना के महत्व पर विस्तार से चर्चा की थी। उन्होंने इसे “दुख खत्म करने का माध्यम” बताया था। केजरीवाल के अनुसार, वे अब तक लगभग 25 विपश्यना कोर्स कर चुके हैं।

उन्होंने कहा था—
“मुझे विपश्यना इसलिए पसंद है क्योंकि यह पूरी तरह विज्ञान पर आधारित है। इसमें किसी भी प्रकार की आस्था (Faith) नहीं है। यह केवल अनुभव आधारित विधि है। कहा जाता है कि इसे खुद आजमाओ, अगर प्रभावी लगे तो करो, वरना छोड़ दो। मैं एक इंजीनियर हूं और विज्ञान का छात्र रहा हूं। मुझे केवल वैज्ञानिक चीजें ही आकर्षित करती हैं, इसलिए विपश्यना मुझे बेहद पसंद है।”

उन्होंने यह भी बताया कि विपश्यना हर व्यक्ति के लिए अलग होती है। उन्होंने कहा—
“इसकी गहराई को समझने में मुझे करीब 17-18 कोर्स लगे। यहां जो भी सिखाया जाता है, उसे धीरे-धीरे अनुभव किया जा सकता है।”

विपश्यना और बुद्ध का दर्शन

केजरीवाल ने विपश्यना को एक वैज्ञानिक प्रक्रिया बताया और समझाया कि इस दुनिया की हर चीज वाइब्रेशन यानी स्पंदन से बनी हुई है। उन्होंने कहा—
“आखिरकार, हर किसी को जीवन में शांति चाहिए। आप दुनिया को बदल नहीं सकते, लेकिन खुद को बदल सकते हैं।”

गौतम बुद्ध के जीवन के संदर्भ में उन्होंने बताया कि—
“बुद्ध ने जब संसार को देखा तो पाया कि हर व्यक्ति दुखी है। उन्होंने सोचा कि यदि दुख है तो उसका कोई कारण भी होगा, और फिर उसका समाधान भी होना चाहिए।”

बुद्ध ने यह भी समझा कि मन चार स्तरों पर काम करता है:

  1. देखने और अनुभव करने वाला भाग
  2. उस अनुभव को अच्छा या बुरा मानने वाला भाग
  3. शरीर में होने वाले बदलावों को नियंत्रित करने वाला भाग (जैसे, गुस्सा आने पर सांस तेज होना)
  4. इन बदलावों पर प्रतिक्रिया देने वाला भाग

कैसे खत्म हो सकता है दुख?

बुद्ध के अनुसार, यदि मन के चौथे हिस्से (जो प्रतिक्रिया देता है) को नियंत्रित कर लिया जाए, तो दुख समाप्त किया जा सकता है। केजरीवाल ने इसे समझाते हुए कहा—
“अगर मैं अपने शरीर में होने वाली संवेदनाओं पर प्रतिक्रिया देना बंद कर दूं, तो दुख का मुझ पर कोई असर नहीं होगा। जितने भी मानसिक विकार हैं, वे बाहरी चीजों से नहीं, बल्कि भीतर से उत्पन्न होते हैं।”

उन्होंने कहा कि विपश्यना हमें यही सिखाती है कि—
“बाहरी दुनिया को बदलने की बजाय, हमें अपने अंदर के बदलाव पर ध्यान देना चाहिए। जब हम अंदर की संवेदनाओं पर प्रतिक्रिया देना बंद कर देते हैं, तब सच्ची शांति प्राप्त होती है। यही विपश्यना का मूल सार है।”