सोनम वांगचुक की पीएम मोदी को चिट्ठी: नदियों और ग्लेशियरों को बचाने की गुहार

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प्रसिद्ध वैज्ञानिक और पर्यावरणविद सोनम वांगचुक ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक सार्वजनिक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग और ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने की गंभीर समस्या पर ध्यान आकर्षित किया है।

उन्होंने विशेष रूप से भारत की नदियों की दयनीय स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो अगले 144 वर्षों में नदियां पूरी तरह सूख सकती हैं। वांगचुक ने चेतावनी दी कि अगर यही स्थिति बनी रही तो भविष्य में महाकुंभ का आयोजन नदी की रेत पर करना पड़ सकता है।

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ग्लेशियरों को बचाने के लिए ठोस कदम जरूरी

मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सोनम वांगचुक ने कहा कि हिमालय के ग्लेशियर बहुत तेजी से पिघल रहे हैं। यदि पेड़ों की कटाई और जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु जैसी नदियां मौसमी जल स्रोतों में बदल सकती हैं। इससे न केवल जल संकट बढ़ेगा, बल्कि कृषि और जैव विविधता पर भी गंभीर प्रभाव पड़ेगा।

भारत निभाए अग्रणी भूमिका

संयुक्त राष्ट्र ने 2025 को ग्लेशियरों के संरक्षण का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया है। इस संदर्भ में, वांगचुक ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि भारत को ग्लेशियर संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि हिमालय, जिसे ‘थर्ड पोल’ के नाम से भी जाना जाता है, में पृथ्वी पर बर्फ और हिम का तीसरा सबसे बड़ा भंडार है।

पीएम मोदी से आयोग गठन की अपील

वांगचुक ने प्रधानमंत्री से हिमालय के ग्लेशियरों की स्थिति का आकलन करने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने की अपील की है। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि ग्लेशियर संरक्षण के लिए ठोस नीतियां बनाई जाएं, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए जल स्रोतों को संरक्षित किया जा सके।