जर्मनी में हुए चुनावों के परिणाम घोषित हो गए हैं। और पूर्व चांसलर एंजेला मर्केल की पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन जीत गयी है। सीडीयू को कुल 28.5 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए। जो इसे सबसे बड़ी पार्टी बनाता है। इस चुनाव में अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी ने भी अच्छा प्रदर्शन किया। और 20 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए। जर्मनी में 23 फरवरी को हुए राज्य चुनावों में चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी को बड़ा झटका लगा है।
क्या यह चुनाव भारत के लिए लाभदायक है?
पूर्व चांसलर एंजेला मार्केल की क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन पार्टी ने चुनाव परिणाम घोषित होने पर जश्न मनाया। इस पार्टी को गठबंधन बनाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि उसे पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा। दूसरी ओर, AfD को 20.6 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए। जो अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। जर्मनी में होने वाले इस चुनाव का विश्व भर में राजनीतिक प्रभाव पड़ेगा। इस चुनाव में भारत, चीन और अमेरिका में विभिन्न चुनौतियाँ हैं। आइए देखें कि मर्ज़ की जीत का किस पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
भारत को लाभ
पिछले कुछ वर्षों में भारत और जर्मनी के बीच संबंध काफी मजबूत हुए हैं। भले ही फ्रेडरिक मर्ज सत्ता में नहीं हैं। लेकिन भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर उनसे लगातार मिलते रहते हैं। यह यात्रा दर्शाती है कि दोनों देशों के बीच संबंध सौहार्दपूर्ण हैं। जर्मनी और भारत के बीच व्यापारिक संबंध अच्छे हैं। इस जीत का भारत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
अमेरिका के लिए झटका
अतः इस संबंध में अमेरिका की विचारधारा दक्षिणपंथी है। और वह एएफडी पार्टी के पक्ष में नहीं हैं। मेर्ज़ की जीत से अमेरिकी सरकार को झटका लगा है। विशेष रूप से टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने सार्वजनिक रूप से एएफडी का समर्थन किया है। तथा अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने भी उनके नेताओं से मुलाकात की है। लेकिन जर्मनी में सीडीयू की जीत ने दक्षिणपंथी ताकतों को खारिज कर दिया है। इससे अमेरिका की यूरोपीय नीति प्रभावित हो सकती है।
यूक्रेन के बारे में क्या?
यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध के दौरान जर्मनी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है। अब चूंकि फ्रेडरिक मर्ज़ की सरकार सत्ता में आ रही है, तो यह यूक्रेन के लिए अच्छी खबर हो सकती है। सीडीयू एक ऐसी पार्टी है जो रूस के खिलाफ सख्त नीतियां अपनाने के पक्ष में रही है। इससे यूक्रेन को यूरोप में एक और मजबूत समर्थक मिल सकता है, जो पश्चिमी देशों को एकजुट करके रूस पर अधिक दबाव डाल सकता है।
चीन के लिए यह स्थिति क्यों बनी रहेगी?
जर्मनी की इस राजनीतिक स्थिति से चीन के लिए बहुत अधिक परिवर्तन नहीं होगा। चीन और जर्मनी के बीच व्यापारिक संबंध बहुत गहरे हैं और सीडीयू सरकार इन संबंधों को बनाए रखने की इच्छुक होगी। यद्यपि चीन को जर्मनी से उतना लाभ नहीं होगा जितना एसपीडी सरकार के तहत हुआ था, तथापि बड़े पैमाने पर कोई बड़ा परिवर्तन नहीं होगा।