अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप, रूस में व्लादिमीर पुतिन और इटली में जॉर्जिया मेलोनी के बाद अब जर्मनी में भी कंजरवेटिव लहर देखने को मिली है। फ्रीडरिक मैर्त्स के नेतृत्व वाले रूढ़िवादी गठबंधन ने कड़े मुकाबले में चांसलर ओलाफ शोल्ज को हराकर सत्ता अपने हाथ में ले ली है।
इस जीत के साथ, जर्मनी में दक्षिणपंथी दलों की पकड़ पहले से ज्यादा मजबूत हो गई है।
फ्रीडरिक मैर्त्स की जीत: जर्मनी में बड़ा उलटफेर
फ्रीडरिक मैर्त्स के गठबंधन को 28.5% वोट मिले।
ओलाफ शोल्ज की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD) को सिर्फ 16% वोट मिले—यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उनका सबसे खराब प्रदर्शन है।
चांसलर ओलाफ शोल्ज ने हार स्वीकार कर ली और इसे अपनी पार्टी के लिए “निराशाजनक नतीजे” करार दिया।
जर्मनी के निचले सदन बुंडेस्टाग (630 सीटों) के चुनाव में जबरदस्त ध्रुवीकरण दिखा।
यह चुनाव नवंबर 2024 में ओलाफ शोल्ज की सरकार गिरने के बाद तय किया गया था।
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दक्षिणपंथी Alternative for Germany (AfD) की ऐतिहासिक बढ़त
सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा यह है कि कट्टर दक्षिणपंथी पार्टी “ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (AfD)” को ऐतिहासिक जनसमर्थन मिला।
AfD को 20.5% वोट मिले, जो 2021 में सिर्फ 10.3% थे।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह पहली बार हुआ है कि AfD को इतनी बड़ी संख्या में सीटें मिली हैं।
यह पार्टी अवैध प्रवासियों और यूरोपीय संघ (EU) की नीतियों की आलोचना करती रही है।
यह पहली बार है जब AfD मुख्यधारा की राजनीति में इतनी मजबूत स्थिति में आई है।
फ्रीडरिक मैर्त्स ने संकेत दिए हैं कि वे AfD के साथ गठबंधन नहीं करेंगे, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि वे अपनी सरकार बनाने के लिए किन दलों के साथ गठबंधन करते हैं।
जर्मनी में चुनावी मुद्दे: जनता ने कंजरवेटिव्स को क्यों चुना?
अर्थव्यवस्था की धीमी वृद्धि: जर्मनी की अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है, जिससे जनता में नाराजगी थी।
अवैध प्रवासियों का मुद्दा: यूरोप में अवैध प्रवासियों की संख्या तेजी से बढ़ी है, जिससे लोग असंतुष्ट थे।
यूक्रेन युद्ध और यूरोपीय एकता पर चिंता: जर्मनी में लोग यूरोपियन यूनियन और यूक्रेन को दी जाने वाली सहायता को लेकर बंटे हुए हैं।
इन्हीं मुद्दों को देखते हुए जनता ने फ्रीडरिक मैर्त्स और उनकी कंजरवेटिव पार्टी को सत्ता सौंपने का फैसला किया।
सरकार बनाना चुनौती क्यों है?
कोई भी पार्टी स्पष्ट बहुमत में नहीं आई है।
फ्रीडरिक मैर्त्स को गठबंधन सरकार बनानी होगी।
वे AfD के साथ गठबंधन नहीं करना चाहते, लेकिन अन्य पार्टियों के साथ उनकी विचारधारा मेल नहीं खाती।
सरकार चलाने के लिए उन्हें विपक्ष के साथ समझौता करना पड़ सकता है।
आने वाले हफ्तों में देखना दिलचस्प होगा कि मैर्त्स किन दलों के साथ सरकार बनाते हैं और उनकी नीतियां जर्मनी की राजनीति को किस दिशा में ले जाती हैं।