केंद्र सरकार की ओर से बातचीत का न्योता मिलने के बाद किसान मजदूर मोर्चा (KMM) ने अपनी रणनीति में बदलाव के संकेत दिए हैं। पहले किसानों ने 25 फरवरी को दिल्ली कूच करने का ऐलान किया था, लेकिन अब केंद्र ने 19 मार्च को तीसरे दौर की बातचीत के लिए बुलाया है। ऐसे में किसान संगठन ने कहा है कि वे दिल्ली कूच को फिलहाल टाल सकते हैं, लेकिन प्रदर्शन जारी रहेगा।
सरकार से बातचीत के बाद किसानों का बदला फैसला
केंद्र सरकार की ओर से कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को चंडीगढ़ में किसान नेताओं से बातचीत की।
किसानों की प्रमुख मांगें:
✔️ एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर कानूनी गारंटी।
✔️ किसानों पर दर्ज किए गए केस वापस लिए जाएं।
✔️ कृषि सुधार से जुड़ी अन्य मांगें पूरी की जाएं।
अब अगली बैठक 19 मार्च को चंडीगढ़ में प्रस्तावित है। किसान मजदूर मोर्चा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा,
“सरकार ने बातचीत के लिए बुलाया है, इसलिए हम 25 फरवरी को हरियाणा बॉर्डर पार नहीं करेंगे। लेकिन 19 मार्च तक अन्य स्थानों पर विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।”
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर का बयान
किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि सोमवार को आगे की रणनीति का ऐलान किया जाएगा।
- उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के साथ चर्चा के बाद ही अगले कदम पर निर्णय लिया जाएगा।
- किसानों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, आंदोलन जारी रहेगा।
- किसानों ने पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर डेरा डाले हुए एक साल से अधिक का समय पूरा कर लिया है।
बैठक के बाद सरकार का बयान
बैठक के बाद कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा:
“किसानों के साथ बातचीत सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई है। अगली बैठक 19 मार्च को चंडीगढ़ में होगी। केंद्र सरकार किसानों के कल्याण को लेकर प्रतिबद्ध है।”
बैठक में शामिल अन्य प्रमुख नेता:
- पंजाब के कैबिनेट मंत्री हरपाल सिंह चीमा
- गुरमीत सिंह खुड्डियां
- लाल चंद कटारूचक
किसान प्रतिनिधिमंडल, जिसमें जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर शामिल थे, बैठक में पहले से मौजूद था। किसानों ने इस दौरान एमएसपी गारंटी की अपनी मांग को मजबूत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया।
आंदोलन जारी रहेगा, लेकिन रुख नरम?
✔️ दिल्ली कूच फिलहाल टला, लेकिन प्रदर्शन जारी रहेगा।
✔️ केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच 19 मार्च को फिर बातचीत होगी।
✔️ एमएसपी पर कानूनी गारंटी अब भी किसानों की सबसे बड़ी मांग बनी हुई है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 19 मार्च की बैठक के बाद सरकार और किसानों के बीच सहमति बनती है या आंदोलन और तेज होगा।