तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए सरकारी कार्यालयों में कार्यरत मुस्लिम कर्मचारियों को रमजान के दौरान एक घंटे पहले दफ्तर छोड़ने की अनुमति दी है। यह छूट 2 मार्च से 31 मार्च, 2025 तक लागू रहेगी, जिससे मुस्लिम कर्मचारियों को इफ्तार और नमाज के लिए समय मिल सके।
सरकारी आदेश में क्या कहा गया?
तेलंगाना सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) द्वारा जारी एक आधिकारिक सर्कुलर के अनुसार, राज्य सरकार के सभी मुस्लिम कर्मचारी, शिक्षक, कॉन्ट्रैक्ट, आउटसोर्सिंग, बोर्ड और सार्वजनिक क्षेत्र के निगमों में काम करने वाले कर्मचारी रमजान के दौरान शाम 4 बजे कार्यालय छोड़ सकते हैं।
मुख्य सचिव शांति कुमारी द्वारा जारी इस आदेश में स्पष्ट किया गया है कि यह राहत उन कर्मचारियों के लिए है, जिनकी उपस्थिति किसी आवश्यक सेवा के तहत अनिवार्य नहीं है। यदि किसी आपातकालीन स्थिति में उनकी आवश्यकता होगी, तो उन्हें दफ्तर में मौजूद रहना होगा।
किन कर्मचारियों को मिलेगी छूट?
इस आदेश का लाभ निम्नलिखित सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा:
- स्थायी सरकारी कर्मचारी
- शिक्षक (टीचर्स)
- संविदा (कॉन्ट्रैक्ट) कर्मचारी
- आउटसोर्सिंग कर्मचारी
- सरकारी बोर्ड और निगमों के कर्मचारी
- सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में कार्यरत मुस्लिम कर्मचारी
त्योहारों को लेकर सरकार का क्या कहना है?
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि ईद-उल-फितर, ईद-उल-अजहा, मुहर्रम और ईद-ए-मिलाद की छुट्टियों की तारीखें चांद के अनुसार तय की जाएंगी। यदि कोई बदलाव होगा, तो इसकी सूचना इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के माध्यम से दी जाएगी।
मस्जिदों में खास इंतजाम
तेलंगाना सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने रमजान के दौरान मुस्लिम समुदाय के लिए विशेष इंतजाम किए हैं।
- मक्का मस्जिद और शाही मस्जिद में नमाजियों के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
- रमजान के दौरान रात में होने वाली तरावीह की नमाज के लिए भी खास व्यवस्थाएं की गई हैं।
- हैदराबाद के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के अनुसार, मक्का मस्जिद, चारमीनार, रॉयल मस्जिद (नामपल्ली) और सचिवालय मस्जिद में रोजेदारों के लिए 2,250 किलोग्राम उच्च गुणवत्ता वाले खजूर उपलब्ध कराए जाएंगे।
बीजेपी का विरोध: ‘तुष्टिकरण की राजनीति’
तेलंगाना कांग्रेस सरकार के इस फैसले को लेकर बीजेपी ने कड़ी आपत्ति जताई है।
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बीजेपी नेता टी. राजा सिंह का बयान
बीजेपी विधायक टी. राजा सिंह ने इस फैसले को “तुष्टिकरण की राजनीति” करार दिया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (ट्विटर) पर लिखा:
“तेलंगाना सरकार ने रमजान के लिए जल्दी छुट्टी की अनुमति दे दी, लेकिन हिंदू त्योहारों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया। यह साफ दिखाता है कि कांग्रेस सरकार केवल मुस्लिम वोटों पर निर्भर है और उसी के लिए काम कर रही है।”
बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने भी साधा निशाना
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी कांग्रेस सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि
“रमजान के दौरान मुस्लिम कर्मचारियों को छूट दी जा रही है, लेकिन नवरात्रि में व्रत रखने वाले हिंदुओं को ऐसी कोई राहत नहीं मिलती। यह सरकार केवल एक विशेष समुदाय को वोट बैंक के रूप में देखती है और हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को दरकिनार कर रही है।”
सरकार का पक्ष
तेलंगाना सरकार ने अपने फैसले को सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया बताया है। सरकार के अनुसार, रमजान एक विशेष धार्मिक अवसर है, जिसमें रोज़े के कारण मुस्लिम कर्मचारियों को अतिरिक्त समय की जरूरत होती है।
हालांकि, बीजेपी का तर्क है कि अगर रमजान में राहत दी जा रही है, तो अन्य धर्मों के त्योहारों के दौरान भी इसी तरह की छूट मिलनी चाहिए।
The appeasement bug strikes the Congress government in Telangana, which has approved relaxed work hours for Muslim state employees during Ramzan. No such concessions are ever granted to Hindus when they fast during Navratri. This tokenism isn’t about being sensitive to the… pic.twitter.com/r2cw1NPGRj
— Amit Malviya (@amitmalviya) February 18, 2025
क्या यह फैसला धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा देगा?
इस निर्णय के बाद राजनीतिक बहस छिड़ गई है। कई लोगों का मानना है कि किसी भी धर्म के कर्मचारियों को उनके धार्मिक अनुष्ठानों के लिए समान सुविधाएं मिलनी चाहिए। अगर रमजान के दौरान मुस्लिम कर्मचारियों को जल्दी छुट्टी दी जा रही है, तो हिंदू, सिख, ईसाई और अन्य धर्मों के अनुयायियों को भी उनके त्योहारों पर ऐसी ही छूट मिलनी चाहिए।