बजट 2025: मध्यम वर्ग को राहत, आभूषण उद्योग को मिला बढ़ावा

2 Jewelry Has Become Cheaper

1 फरवरी 2025 (शनिवार) को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2025 पेश किया, जिसमें मध्यम वर्ग और आभूषण उद्योग के लिए कई बड़े ऐलान किए गए। सबसे अहम घोषणा नई कर व्यवस्था को लेकर रही, जिससे वेतनभोगी वर्ग को सीधा फायदा मिलेगा।

मध्यम वर्ग के लिए टैक्स में बड़ी राहत

नई कर प्रणाली के तहत अब 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई कर नहीं लगेगा। इसके अलावा, मानक कटौती (Standard Deduction) के कारण 12.75 लाख रुपये तक की आय वाले लोगों को भी यह लाभ मिलेगा। यह फैसला करदाताओं के लिए बड़ी राहत लेकर आया है।

सबसे बड़ी बात यह रही कि यह प्रावधान अगले ही दिन, यानी 2 फरवरी 2025 से लागू हो गया।

आभूषणों पर सीमा शुल्क में कटौती

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आइटम कोड-7113 का जिक्र करते हुए आभूषण उद्योग को राहत देने के लिए सीमा शुल्क में कटौती की घोषणा की।

  • आभूषण और उनके पुर्जों पर सीमा शुल्क 20% से घटाकर 15% कर दिया गया।
  • प्लैटिनम धातु पर सीमा शुल्क 25% से घटाकर 5% किया गया।

यह बदलाव भी 2 फरवरी 2025 से तुरंत लागू कर दिया गया।

क्या होगा आभूषण उद्योग पर असर?

भारत में आभूषणों की मांग हमेशा से अधिक रही है। सरकार द्वारा शुल्क में कटौती किए जाने के बाद यह मांग और बढ़ सकती है।

इसका क्या फायदा होगा?

आभूषणों की कीमतें कम होंगी, जिससे ग्राहक अधिक खरीदारी करेंगे।
लक्जरी सेगमेंट को बड़ा फायदा मिलेगा।
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय आभूषण उद्योग की प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।

उद्योग जगत ने सरकार के इस फैसले की सराहना की है, क्योंकि इससे आभूषण निर्माताओं और व्यापारियों को सीधा लाभ मिलेगा।

सोने और चांदी पर शुल्क में कोई बदलाव नहीं

बजट 2025 में सोने और चांदी पर लगने वाले सीमा शुल्क में कोई बदलाव नहीं किया गया। हालांकि, प्लैटिनम धातु पर शुल्क घटाने के फैसले से रत्न और आभूषण उद्योग को मजबूती मिलेगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से भारत के आभूषण बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे नए और आकर्षक डिजाइनों पर जोर दिया जाएगा।

आगे क्या होगा?

सरकार के इस फैसले से मध्यम वर्ग, आभूषण उद्योग और निवेशकों को सीधा लाभ मिलेगा। बजट 2025 से न केवल करदाताओं को राहत मिली है, बल्कि भारतीय रत्न एवं आभूषण उद्योग को भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूती मिलेगी।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इन फैसलों का अर्थव्यवस्था और आम जनता पर कितना असर पड़ता है।