ISRO ने रचा इतिहास: SpaDeX मिशन के तहत सैटेलाइट डॉकिंग में कामयाबी

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए SpaDeX (स्पेस डॉकिंग एक्सरसाइज) मिशन के तहत दो सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक डॉक कर लिया है। यह उपलब्धि भारत को अमेरिका, रूस, और चीन के बाद दुनिया का चौथा देश बनाती है, जिसने अंतरिक्ष में सैटेलाइट डॉकिंग प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।

दो बार असफलता के बाद मिली सफलता

इसरो ने इससे पहले 7 और 9 जनवरी को सैटेलाइट डॉकिंग का प्रयास किया था, लेकिन तकनीकी कारणों से ये प्रयास सफल नहीं हो सके।

  • 12 जनवरी 2024 को इसरो ने दोनों सैटेलाइट्स को 15 मीटर और फिर 3 मीटर की दूरी तक लाने में सफलता प्राप्त की थी।
  • डेटा का विस्तृत विश्लेषण करने के बाद, 18 जनवरी 2024 को इसरो ने दोनों सैटेलाइट्स को पूरी तरह से डॉक कर इतिहास रच दिया।

इसरो ने इस प्रक्रिया को “भारत के अंतरिक्ष विज्ञान में मील का पत्थर” करार दिया।

SpaDeX मिशन की प्रमुख विशेषताएं

SpaDeX मिशन को इसरो ने 30 दिसंबर 2024 को लॉन्च किया था।

  • मिशन के तहत SDX01 (चेसर) और SDX02 (टारगेट) नामक दो छोटे सैटेलाइट्स को पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में स्थापित किया गया।
  • इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए सटीक और कुशल डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करना है।

डॉकिंग तकनीक का महत्व:

  1. चंद्रयान-4 मिशन में, जो चंद्रमा से सैंपल लाने का मिशन है।
  2. भारत के महत्वाकांक्षी भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Indian Space Station) की स्थापना, जिसे 2028 तक लॉन्च करने की योजना है।

डॉकिंग प्रक्रिया: बड़ी चुनौती और उपलब्धि

SpaDeX मिशन के तहत दोनों सैटेलाइट्स को प्रारंभ में 20 किमी की दूरी पर रखा गया।

  • इसके बाद चेसर सैटेलाइट ने चरणबद्ध तरीके से दूरी घटाई और 5 किमी, 1.5 किमी, 500 मीटर, 225 मीटर, 15 मीटर, और अंततः 3 मीटर की दूरी तय की।
  • सटीक नेविगेशन और संचार प्रणाली का उपयोग करते हुए, दोनों सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक डॉक किया गया।

डॉकिंग के बाद किए गए प्रदर्शन:

  1. पावर ट्रांसफर: दोनों सैटेलाइट्स के बीच बिजली का आदान-प्रदान किया गया।
  2. अलगाव: सफल डॉकिंग के बाद, सैटेलाइट्स को अलग कर दिया गया और उनके पेलोड संचालन शुरू किए गए।

भविष्य की योजनाओं में डॉकिंग का महत्व

1. चंद्रयान-4 मिशन:

चंद्रयान-4 मिशन में चंद्रमा की सतह से सैंपल इकट्ठा कर उन्हें पृथ्वी पर लाने के लिए डॉकिंग और अंडॉकिंग तकनीक का उपयोग किया जाएगा।

  • दो मॉड्यूल्स को अलग-अलग लॉन्च वाहनों से भेजा जाएगा।
  • ये मॉड्यूल जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में डॉक करेंगे।

2. भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन:

2028 तक प्रस्तावित भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना के लिए डॉकिंग तकनीक बेहद महत्वपूर्ण है।

  • अंतरिक्ष यात्रियों के मॉड्यूल्स को जोड़ने और संचालन के लिए यह तकनीक अनिवार्य होगी।

3. मानव अंतरिक्ष मिशन:

ISRO के गगनयान मिशन के बाद प्रस्तावित मानव अंतरिक्ष अभियानों में डॉकिंग तकनीक का प्रमुख योगदान होगा।

SpaDeX: भारत के लिए बड़ी उपलब्धि

SpaDeX मिशन ने भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है।

  • यह मिशन केवल तकनीकी प्रदर्शन तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत के अंतरिक्ष विज्ञान और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
  • इस तकनीक से मानव रहित और मानवयुक्त मिशनों में सफलता सुनिश्चित होगी।