IITian बाबा: एयरोस्पेस इंजीनियर से संत बनने की प्रेरक कहानी

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जहां एक ओर महाकुंभ में पहुंचे साधु-संतों के दर्शन के लिए भीड़ उमड़ रही है, वहीं कुछ संत सोशल मीडिया पर भी छाए हुए हैं। ऐसा ही एक नाम है अभय सिंह, जो अब ‘IITian बाबा’ के नाम से मशहूर हैं। अभय ने IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, लेकिन अब उन्होंने अपना जीवन अध्यात्म को समर्पित कर दिया है। उनके इस फैसले ने न केवल उनके परिवार को, बल्कि देशभर के लोगों को भी चौंका दिया है।

IITian बाबा: इंजीनियर से संत बनने का सफर

हरियाणा के झज्जर जिले के सासरौली गांव के रहने वाले अभय सिंह ने IIT बॉम्बे से पढ़ाई की।

  • उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की और कैंपस प्लेसमेंट के जरिए नौकरी भी की।
  • उनकी प्रतिभा और शैक्षणिक योग्यता ने उन्हें कनाडा तक पहुंचाया, जहां उन्होंने नौकरी भी की।
  • हालांकि, अपनी पेशेवर जिंदगी छोड़कर अब उन्होंने अध्यात्म का मार्ग चुना है।

अभय का कहना है, “मैंने विज्ञान के रास्ते को छोड़कर आध्यात्मिक जीवन को अपनाया है।”

पिता की प्रतिक्रिया: बेटे के फैसले से खुश नहीं

अभय सिंह के पिता कर्ण सिंह, जो पेशे से वकील हैं, ने बेटे के इस फैसले पर अपनी निराशा जाहिर की है।

  • उन्होंने बताया कि उन्हें बेटे के अध्यात्म की ओर जाने की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए मिली।
  • कर्ण सिंह ने कहा, “मैं इस फैसले से खुश नहीं हूं, लेकिन यह उसका निजी निर्णय है। मैं इसमें दखल नहीं दूंगा।”
  • उनका मानना है कि अभय के इस कदम के पीछे कोई बड़ी सोच हो सकती है, और वह देश को अध्यात्म के जरिए संदेश देना चाहता होगा।

परिवार से कटाव और शादी की बात से बचाव

पिता कर्ण सिंह ने बताया कि अभय ने पिछले कुछ समय में परिवार से दूरी बना ली थी।

  • “अभय को फोन पर बात करना पसंद नहीं था। वह कहता था कि मैसेज किया करें,” उन्होंने बताया।
  • बीते छह महीनों से अभय ने अपने परिवार के सभी सदस्यों के नंबर ब्लॉक कर दिए थे।
  • कर्ण सिंह ने कहा कि परिवार ने अभय की शादी के बारे में चर्चा की थी, और संभवतः इससे बचने के लिए उसने यह दूरी बनाई।

छात्र जीवन से ही आध्यात्मिक रुचि

अभय के पिता ने यह भी बताया कि उनका बेटा बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल था और वह जीवन में जो चाहता था, उसके प्रति समर्पित रहता था।

  • IIT में पढ़ाई के दौरान ही अभय ने उज्जैन कुंभ मेले की यात्रा की थी।
  • ध्यान और योग के प्रति उनकी रुचि कनाडा में और गहरी हुई, जहां वह अपने काम के साथ अध्यात्म की ओर झुके।

कनाडा की नौकरी से अध्यात्म तक का सफर

अभय सिंह ने कोरोना महामारी के दौरान कनाडा में नौकरी की।

  • वह अपनी बहन के पास रह रहे थे और वहीं उन्होंने काम के साथ आध्यात्मिक जीवन के बारे में अधिक सीखा।
  • भारत लौटने के बाद उनके पिता उन्हें नैचुरल पैथी चिकित्सालय लेकर गए।
  • चिकित्सालय में ध्यान और योग के माध्यम से उन्हें अध्यात्म के बारे में और जानकारी मिली।

अभय का समाज के लिए संदेश

अभय सिंह का यह फैसला न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि समाज के लिए भी प्रेरणा का विषय है। एक ऐसा व्यक्ति, जिसने देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक से पढ़ाई की, विदेश में नौकरी की, लेकिन अंततः अध्यात्म को चुना।