अफगानिस्तान पर भारत की एंट्री: रूस के समर्थन से बदल सकता है समीकरण

Vladimir Putin And Narendra Modi (1)

भारत के खिलाफ पाकिस्तान और चीन का गठजोड़ लंबे समय से सक्रिय है। यह जुगलबंदी अफगानिस्तान के मामलों में भी साफ दिखाई देती है। अफगानिस्तान पर बनी एक विशेष समूह में, जिसमें रूस, चीन, पाकिस्तान और ईरान शामिल हैं, भारत को अब तक जगह नहीं मिली थी। हालांकि, अब इस समीकरण को रूस ने चुनौती दी है। रूस के विदेश मंत्री सेरगेई लावरोव ने भारत को इस समूह में शामिल करने की वकालत की है।

रूस का रुख: भारत की भागीदारी पर जोर

रूस के विदेश मंत्री सेरगेई लावरोव ने कहा कि यह बेहद जरूरी है कि शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों के बीच आपसी भरोसा और मजबूत हो। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर बने समूह में भारत को शामिल करना सही कदम होगा।

भारत की भूमिका क्यों अहम है?

  1. भारत लंबे समय से अफगानिस्तान में विकास परियोजनाओं और मानवीय सहायता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
  2. तालिबान सरकार के प्रति भारत का रुख नरम हुआ है, और दोनों देशों के बीच हाल के वर्षों में संवाद बेहतर हुआ है।
  3. पाकिस्तान और चीन की रणनीति से परे, भारत की उपस्थिति स्थिरता और संतुलन लाने में मदद कर सकती है।

भारत-अफगानिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकी

हाल ही में दुबई में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री की बैठक हुई थी। इस बैठक में भारत ने आश्वासन दिया कि वह अफगानिस्तान की मदद के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

भारत की प्रतिबद्धताएं:

  • अफगानिस्तान में शरणार्थियों को राहत देने के लिए सहयोग।
  • विकास परियोजनाओं में आर्थिक और तकनीकी योगदान।
  • अफगानिस्तान में पाकिस्तान द्वारा भेजे गए शरणार्थियों को मदद।

इस बैठक के बाद से, अफगानिस्तान में भारत की भागीदारी पर जोर और बढ़ गया है। खासतौर पर तब, जब तालिबान और पाकिस्तान के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं।

पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बिगड़ते रिश्ते

पाकिस्तान, जो अफगानिस्तान का परंपरागत साझेदार माना जाता था, अब तालिबान सरकार से टकराव के दौर में है।

  • पाकिस्तान ने हाल ही में अफगानिस्तान में एयर स्ट्राइक्स तक की हैं।
  • तालिबान सरकार ने इस कार्रवाई को खुला हमला बताया है।
  • भारत और अफगानिस्तान की बढ़ती दोस्ती को पाकिस्तान अपने खिलाफ मानता है।

अफगानिस्तान क्वॉड: भारत को क्यों बाहर रखा गया?

अफगानिस्तान क्वॉड नामक समूह में रूस, चीन, पाकिस्तान और ईरान शामिल हैं। यह समूह नवंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतर हुई बैठक में सामने आया।

  • इस बैठक में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री मुहम्मद आसिफ, चीन से वांग यी, और ईरान से सैयद अब्बास अराघची मौजूद थे।
  • रूस के विदेश मंत्री सेरगेई लावरोव ने अब इस समूह में भारत को शामिल करने की मांग उठाई है।

भारत को क्यों बाहर रखा गया?

  1. पाकिस्तान और चीन नहीं चाहते कि भारत अफगानिस्तान के मामलों में कोई भूमिका निभाए।
  2. चीन और पाकिस्तान का मानना है कि भारत की मौजूदगी उनके हितों के खिलाफ होगी।
  3. दोनों देश अफगानिस्तान पर अपना प्रभाव बनाए रखना चाहते हैं।

SCO के निष्क्रिय ग्रुप को किया दरकिनार

अफगानिस्तान पर शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का एक कॉन्टेक्ट ग्रुप पहले से ही मौजूद है, जिसमें भारत भी सदस्य है।

  • लेकिन 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद यह ग्रुप निष्क्रिय हो गया।
  • चीन और पाकिस्तान ने SCO को दरकिनार कर एक अलग समूह बनाया।
  • इस समूह का उद्देश्य भारत को बाहर रखना और अफगानिस्तान पर अपने प्रभाव को बढ़ाना है।

रूस का असहमत रुख

रूस इस बात से सहमत नहीं है कि भारत को अफगानिस्तान के मामलों से अलग रखा जाए। रूस ने भारत की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए इसका समर्थन किया है।

भारत के लिए रूस का समर्थन क्यों मायने रखता है?

रूस, जो अफगानिस्तान और मध्य एशिया में एक मजबूत भूमिका निभाता है, का समर्थन भारत के लिए एक बड़ी रणनीतिक जीत साबित हो सकता है।

  1. भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक रूप से मजबूत संबंध हैं।
  2. रूस के समर्थन से चीन और पाकिस्तान के प्रभाव को संतुलित किया जा सकता है।
  3. भारत को वैश्विक और क्षेत्रीय मामलों में अधिक स्वीकार्यता और महत्व मिलेगा।

क्या बदल सकते हैं समीकरण?

यदि रूस अपने वीटो का इस्तेमाल करता है और भारत को इस समूह में शामिल किया जाता है, तो यह पाकिस्तान और चीन की योजना पर बड़ा झटका होगा।

  • भारत की भागीदारी से अफगानिस्तान के विकास और स्थिरता को एक नई दिशा मिल सकती है।
  • चीन और पाकिस्तान के एकाधिकार को चुनौती मिलेगी।
  • अफगानिस्तान में भारत की सकारात्मक छवि और मजबूत होगी।