माघ मास की चतुर्थी को सकट चतुर्थी व्रत का आयोजन संतान की मंगल कामना के लिए किया जाता है। इस वर्ष, सकट चतुर्थी व्रत 17 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन माता-पिता अपनी संतान की लंबी उम्र और उज्ज्वल भविष्य की कामना के लिए व्रत रखते हैं। माताएँ इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम के समय चंद्रमा के दर्शन करने के बाद अपना व्रत खोलती हैं। इस प्रक्रिया के बाद ही व्रत संपन्न माना जाता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद सात्विक आहार का सेवन किया जा सकता है, और चंद्रमा निकलने तक पानी नहीं पिया जाता है।
गणेश जी को क्या अर्पित करें
सकट चतुर्थी पर गणेश जी को पूजा में दुर्वा और सुपारी अर्पित करनी चाहिए। सुपारी को कलावे में बांधकर गणेश जी का स्वरूप बनाया जाता है। इस दिन तिल से बनी वस्तुएँ और मौसमी फल भी अर्पित किए जाते हैं। मान्यता है कि सकट चौथ पर गणेश जी की पूजा से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और संतान को लंबी उम्र का आशीर्वाद देते हैं। ध्यान रहे कि गणपति को तुलसी दल कभी नहीं अर्पित करना चाहिए। इस दिन तिल से बकरा बनाया जाता है और संतान के माध्यम से सिक्के के जरिए इसे काटा जाता है।
पूजा का समय
अधिकतर स्थानों पर सुबह व्रत का संकल्प लिया जाता है, और फिर शाम को गणेश जी की पूजा की जाती है। सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है, उसके बाद व्रत की कथा पढ़ी जाती है। चाँद के निकलने पर चंद्रमा को अर्घ्य देकर, विभिन्न चीजें अर्पित की जाती हैं। अंत में आरती उतारकर प्रणाम करके संतान की लंबी उम्र की कामना की जाती है।
सकट चतुर्थी का व्रत विशेष रूप से संतान की सुरक्षा और कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन की गई पूजा से माता-पिता को संतान सुख की प्राप्ति होती है।