अभय सिंह: IIT स्नातक से आध्यात्मिक साधक बने ‘मसानी गोरख बाबा’

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प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु, तीर्थयात्री, और पर्यटक जुट रहे हैं, लेकिन इस भीड़ में एक अनोखी शख्सियत का आकर्षण सबका ध्यान खींच रहा है। ‘मसानी गोरख बाबा’ के नाम से मशहूर अभय सिंह, जो हरियाणा के झज्जर जिले के निवासी हैं, ने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की और एक सफल करियर को छोड़कर आध्यात्मिक जीवन अपनाने का निर्णय लिया।

जीवन का अर्थ खोजने का प्रयास

अभय सिंह का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन के अर्थ की खोज के लिए दर्शन और महान दार्शनिकों जैसे सुकरात और प्लेटो के कार्यों का गहन अध्ययन किया है। न्यूज 18 को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “अब मुझे असली ज्ञान समझ में आता है। यदि आपको मन और मानसिक स्वास्थ्य को समझना है, तो आप इसे आध्यात्मिकता के माध्यम से कर सकते हैं।”

भगवान शिव के अनन्य भक्त, मसानी गोरख बाबा का कहना है, “अब मैं आध्यात्मिकता का आनंद ले रहा हूं। मैं विज्ञान के माध्यम से आध्यात्मिकता को समझता हूं। सब कुछ शिव है। सत्य शिव है और शिव सुंदर है।” उनके इंस्टाग्राम पर करीब 29,000 फॉलोअर्स हैं, जहां वे ध्यान, योग, और प्राचीन सूत्रों पर आधारित पोस्ट साझा करते हैं।

सोशल मीडिया पर चर्चाएं

मसानी गोरख बाबा को आकर्षण का केंद्र बनाना इस बात से भी है कि उन्होंने अपनी आईआईटी की डिग्री और करियर को त्यागकर एक नई आध्यात्मिक राह चुनी। सोशल मीडिया पर चर्चा है कि अभय सिंह ने प्रेम में धोखे के बाद सांसारिक मोह-माया छोड़कर भगवान की शरण ली। वहीं, कुछ लोग कहते हैं कि बेरोजगारी के अवसाद ने उन्हें आध्यात्मिकता की ओर मोड़ दिया। हालांकि, उनकी आध्यात्मिक यात्रा के पीछे की असली वजह केवल मसानी गोरख बाबा ही जानते हैं।

क्या अभय सिंह डिप्रेशन में थे?

एबीपी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, अभय सिंह ने आईआईटी मुंबई में दाखिला लेने के बाद अपने जीवन को लेकर गहरे सवालों का सामना किया। करियर के प्रति चिंता और डिप्रेशन के चलते उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य, एंजायटी, और तनाव से जूझते हुए नींद की समस्या और मन की गहराई को समझने के लिए मनोविज्ञान का अध्ययन किया। इस दौरान उन्होंने इस्कॉन और भगवान कृष्ण के विचारों की ओर रुख किया, जिससे उन्हें जीवन के अर्थ की खोज में मार्गदर्शन मिला। उनके अनुसार, यह यात्रा आत्म-खोज और मानसिक शांति पाने का माध्यम बनी।