नागपुर के बुलढाणा जिले के 11 गांवों में अचानक लोगों के बड़े पैमाने पर गंजे होने की घटना का रहस्य अभी भी अनसुलझा है। केंद्रीय राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव के निर्देश पर, दिल्ली और चेन्नई से आईसीएमआर के वैज्ञानिकों की एक टीम ने स्थिति की जांच के लिए शेगांव में डेरा डाला है। रिपोर्ट के अनुसार, इस जांच टीम में आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी और एलोपैथी के विशेषज्ञ शामिल हैं। अब तक 250 लोग गंजे हो चुके हैं, जबकि 600 अन्य में इस बीमारी के लक्षण दिख रहे हैं।
‘गंजा वायरस’ के लक्षण
नागपुर के शेगांव में फैली इस रहस्यमयी बीमारी को स्थानीय लोग ‘गंजा वायरस’ कह रहे हैं। प्रभावित गांवों में पाहुरजिरा, कलवाड, कथोरा, भोंगांव, बोंडगांव, हिंगना, भोटा और पाहुर पूर्णा शामिल हैं। इस बीमारी के लक्षणों में पहले सिर की त्वचा पर खुजली होना शामिल है, जिसके बाद तेजी से बाल झड़ने लगते हैं। कुछ मामलों में, व्यक्तियों के केवल तीन दिनों में सारे बाल झड़ जाने की घटनाएं भी सामने आई हैं। इस बीमारी के कारण स्थानीय जनसंख्या में चिंता बढ़ गई है और लोग सरकार से स्पष्टीकरण मांग रहे हैं।
सरकारी कार्रवाई
अधिकारियों ने इस प्रकोप के कारण का पता लगाने के लिए तेजी से कदम उठाए हैं। इलाके के पानी और अन्य संभावित स्रोतों के नमूने एकत्र किए गए हैं। इस बीमारी के कारण के बारे में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं, जिनमें जल प्रदूषण, फंगल इंफेक्शन, कुपोषण, या रसायनों और सौंदर्य प्रसाधनों के प्रति एलर्जी शामिल हैं।
विशेषज्ञों की टीम
14 जनवरी को शेगांव पहुंची आईसीएमआर टीम में डॉ. मनोज मुरहेकर (आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी, चेन्नई), डॉ. सोमेश गुप्ता (एम्स, नई दिल्ली), डॉ. सुमित अग्रवाल (आईसीएमआर, नई दिल्ली), डॉ. शीला गोडबोले (आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसलेशनल वायरोलॉजी, पुणे), डॉ. राज तिवारी (आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च इन एनवायर्नमेंटल हेल्थ, भोपाल) और डॉ. सुचित कांबले (आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसलेशनल वायरोलॉजी, पुणे) जैसे प्रतिष्ठित विशेषज्ञ शामिल हैं। इन विशेषज्ञों की कोशिश है कि इस रहस्यमयी बीमारी के कारणों का जल्द से जल्द पता लगाया जा सके।