इलायची, जिसे कई लोग पसंद करते हैं, एक महत्वपूर्ण मसाला है जिसका सबसे अधिक उपयोग चाय, खीर, सेवइयां और मिठाइयों में किया जाता है। अगर किसान इलायची की खेती करते हैं, तो वे अच्छी कमाई कर सकते हैं। खासकर केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में किसान इसकी खेती में संलग्न हैं। इलायची की खेती के लिए दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है, हालांकि लैटेराइट और काली मिट्टी में भी इसकी वृद्धि संभव है। इसके लिए खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होना जरूरी है।
खेती की विशेषताएँ
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, किसानों को रेतीली मिट्टी पर इलायची की खेती से बचना चाहिए, क्योंकि इससे नुकसान हो सकता है। इलायची की खेती के लिए आदर्श तापमान 10 से 35 डिग्री सेल्सियस होता है। इलायची में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। इसके अलावा, इलायची में विटामिन सी, विटामिन बी6, विटामिन बी3, कैल्शियम, जिंक, प्रोटीन और पोटैशियम भी प्रचुर मात्रा में होते हैं। नियमित रूप से इलायची का सेवन करने से खांसी और जुकाम जैसी बीमारियों से राहत मिल सकती है।
कटाई और उपज
यदि आप इलायची की खेती करना चाहते हैं, तो सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई करें और बारिश के मौसम में पौधे लगाएँ। पौधों को लगाने के दो साल बाद इलायची के फल आना शुरू होते हैं। खास बात यह है कि आप 20 से 25 दिनों के अंतराल पर इलायची तोड़ सकते हैं। एक हेक्टेयर में 135 से 150 किलोग्राम इलायची की पैदावार हो सकती है।
इलायची को तोड़ने के बाद धूप में सुखाया जाता है। इसके हरे रंग को बनाए रखने के लिए इसे वॉशिंग सोडा के घोल में 10 से 15 मिनट तक भिगोया जाता है और फिर 18 से 20 घंटे तक धूप में सुखाया जाता है। वर्तमान में, इलायची बाजार में 1500 से 2000 रुपये प्रति किलो बिकती है, जिससे आप एक हेक्टेयर में इलायची की खेती करके लगभग 3 लाख रुपये कमा सकते हैं।