Mahakumbh 2025: प्रयागराज के बाद अगला कुंभ मेला कब और कहां लगेगा? जानिए कैसे तय होता है जगह और समय
महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में हो रहा है, जहां दुनिया भर से करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए आ रहे हैं। गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर लगने वाला यह मेला धार्मिकता, सांस्कृतिक धरोहर और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
लेकिन, महाकुंभ 2025 के बाद अगला कुंभ मेला कब और कहां लगेगा? यह सवाल हर श्रद्धालु के मन में उठता है। कुंभ मेले के स्थान और समय का निर्धारण एक प्राचीन ज्योतिषीय प्रक्रिया और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। आइए इस ऐतिहासिक आयोजन के पीछे के विज्ञान और परंपरा को समझते हैं।
कुंभ मेले का महत्व
कुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जिसे विश्वभर में आस्था और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि कुंभ के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यह मेला चार पवित्र स्थलों—प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—पर बारी-बारी से आयोजित किया जाता है।
कुंभ मेले के स्थान और समय का निर्धारण कैसे होता है?
कुंभ मेले का स्थान और समय खगोलीय गणनाओं और हिंदू ज्योतिष पर आधारित है। यह आयोजन मुख्य रूप से सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की स्थिति पर निर्भर करता है।
- सूर्य और चंद्रमा की स्थिति:
कुंभ मेले का समय उस दौरान तय होता है जब सूर्य और चंद्रमा एक विशेष राशि में होते हैं। - बृहस्पति की स्थिति:
बृहस्पति ग्रह जिस राशि में होता है, उसी के आधार पर यह तय किया जाता है कि कुंभ मेला किस स्थान पर आयोजित होगा। - चार स्थानों का चक्र:
कुंभ मेला हर 12 साल में चार स्थानों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—पर बारी-बारी से आयोजित होता है।
प्रयागराज के बाद अगला कुंभ मेला कहां लगेगा?
महाकुंभ 2025 प्रयागराज में हो रहा है। इसके बाद अगला कुंभ मेला हरिद्वार में आयोजित होगा। हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे यह मेला होता है, और इसे भी करोड़ों श्रद्धालु देखने आते हैं।
स्थान चक्र:
- प्रयागराज: गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर।
- हरिद्वार: गंगा नदी के किनारे।
- उज्जैन: क्षिप्रा नदी के किनारे।
- नासिक: गोदावरी नदी के किनारे।
कुंभ मेले के चार स्थलों का महत्व
- प्रयागराज (इलाहाबाद):
यह कुंभ मेले का सबसे प्रमुख स्थान है। मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने यहां यज्ञ किया था, और यह ब्रह्मांड का केंद्र माना जाता है। - हरिद्वार:
हरिद्वार को गंगा नदी के पवित्र घाटों और हर की पौड़ी के लिए जाना जाता है। यह स्थान मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक है। - उज्जैन:
उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग इस स्थान को और भी खास बनाता है। - नासिक:
नासिक में गोदावरी नदी के पवित्र जल में स्नान करना पापों से मुक्ति दिलाता है।
कुंभ मेले का आयोजन चक्र
कुंभ मेले का चक्र चार स्थानों पर हर 12 साल में घूमता है। हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में बारी-बारी से कुंभ का आयोजन किया जाता है।
- हर स्थान पर आयोजित होने वाले कुंभ को “पूर्ण कुंभ” कहा जाता है।
- 144 वर्षों में एक बार “महाकुंभ” प्रयागराज में होता है।
- हर छह साल में “अर्धकुंभ” का आयोजन भी होता है।
महाकुंभ 2025 की खास बातें
महाकुंभ 2025 में प्रयागराज का संगम घाट पूरी तरह से तैयार किया गया है। इसमें श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं:
- डिजिटल रजिस्ट्रेशन की सुविधा।
- महिलाओं और बुजुर्गों के लिए विशेष प्रबंध।
- सुरक्षा और मेडिकल सुविधाओं का उच्च स्तर।
श्रद्धालुओं के लिए यात्रा टिप्स
- समय से योजना बनाएं:
कुंभ मेले में भारी भीड़ होती है, इसलिए यात्रा के लिए पहले से योजना बनाएं। - ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन:
मेले में प्रवेश के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो सकता है। - सुरक्षा और स्वास्थ्य का ध्यान रखें:
भारी भीड़ में सतर्क रहें और स्वास्थ्य संबंधी सावधानियां बरतें। - धार्मिक स्थलों की जानकारी लें:
मेले के दौरान महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों पर जाने की योजना बनाएं।