PSU बैंकों के शेयरों में गिरावट, सरकार की हिस्सेदारी बेचने की योजना बनी वजह

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पांच सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB), यूको बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक (PSB), और बैंक ऑफ महाराष्ट्र (BOM) के शेयर आज, बुधवार के कारोबार के दौरान बड़ी गिरावट में रहे।

  • सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया: 6% की गिरावट के साथ ₹51.55 पर।
  • IOB: 7% की गिरावट के बाद ₹50.10 पर।
  • यूको बैंक: 6% से अधिक गिरावट के साथ ₹42.34 पर।
  • पंजाब एंड सिंध बैंक: 5% से अधिक गिरकर ₹45.49 पर।
  • बैंक ऑफ महाराष्ट्र: 4% से अधिक गिरकर ₹50.69 पर ट्रेड कर रहा है।

गिरावट का कारण: सरकार का हिस्सेदारी बेचने का फैसला

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र सरकार ने इन बैंकों में अपनी हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई है।

  • फंड जुटाने की योजना:
    सरकार ने क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) रूट के जरिए ₹10,000 करोड़ जुटाने को मंजूरी दी है।
  • प्रक्रिया की शुरुआत:
    फंड जुटाने की प्रक्रिया चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में चरणबद्ध तरीके से शुरू होगी।
  • DIPAM का आदेश:
    विनिवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) को ऑफर फॉर सेल (OFS) रूट के जरिए इन बैंकों में हिस्सेदारी बेचने का निर्देश दिया गया है।
  • सरकार का लक्ष्य:
    अगस्त 2026 तक इन बैंकों में 25% न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता मानदंडों को पूरा करना।

वित्त मंत्रालय की बुधवार को अहम बैठक

आज वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) के प्रमुखों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में वित्तीय समावेशन योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की जाएगी।

बैठक का एजेंडा:

  • प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) और मुद्रा योजना जैसे प्रमुख वित्तीय समावेशन कार्यक्रमों की प्रगति पर चर्चा।
  • PM स्वनिधि योजना और अन्य समावेशन योजनाओं की समीक्षा।
  • बैठक की अध्यक्षता वित्तीय सेवा सचिव एम. नागराजू करेंगे।
  • निजी क्षेत्र के बैंकों के प्रतिनिधि भी इस बैठक में भाग लेंगे।

सरकार की हिस्सेदारी बेचने का असर

सरकार की हिस्सेदारी बेचने की घोषणा के बाद निवेशकों में PSU बैंक शेयरों के प्रति चिंताएं बढ़ी हैं।

  • निवेशकों की प्रतिक्रिया:
    निवेशकों का मानना है कि हिस्सेदारी बिक्री से इन बैंकों पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे उनके शेयरों में गिरावट देखी जा रही है।
  • भविष्य की उम्मीद:
    सरकार का उद्देश्य सार्वजनिक हिस्सेदारी को बढ़ाकर बाजार पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। हालांकि, निकट अवधि में इससे शेयरों में अस्थिरता बनी रह सकती है।