IAS पूर्व प्रशिक्षु पूजा खेडकर ने सुप्रीम कोर्ट में दी दस्तक, आरक्षण का फर्जी लाभ लेने का आरोप

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भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की पूर्व प्रशिक्षु अधिकारी पूजा खेडकर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और दिव्यांगजन (PwD) के लिए आरक्षित कोटा का फर्जी लाभ उठाकर संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा पास की।

सुप्रीम कोर्ट में पूजा खेडकर की दलीलें

खेडकर ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में कई तर्क प्रस्तुत किए:

  1. हिरासत की आवश्यकता नहीं:
    • खेडकर ने कहा कि एफआईआर में जिन दस्तावेजों का जिक्र है, वे पहले से ही अभियोजन पक्ष के पास हैं।
    • इसलिए, हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत नहीं है।
  2. कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं:
    • उन्होंने दावा किया कि उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है।
    • वह एक अविवाहित दिव्यांग महिला हैं, जिससे उन्हें सहानुभूति मिलनी चाहिए।
  3. फिजिकल वेरिफिकेशन:
    • खेडकर का कहना है कि उनकी नियुक्ति फिजिकल वेरिफिकेशन के बाद हुई थी।
    • उन्हें ऑल इंडिया सर्विसेज एक्ट और रूल्स के तहत सुरक्षा प्राप्त है।
  4. दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम:
    • खेडकर ने यह भी तर्क दिया कि इस अधिनियम के तहत उन्हें तब तक संरक्षण प्राप्त है, जब तक उनके खिलाफ आरोप सिद्ध नहीं हो जाते।

UPSC ने खेडकर की चयन प्रक्रिया रद्द की

खेडकर पर लगे आरोपों के बाद UPSC ने उनकी चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया।

  • आरोप:
    • खेडकर ने CSE-2022 के नियमों का उल्लंघन किया।
    • उन्हें भविष्य में UPSC की सभी परीक्षाओं और चयन प्रक्रियाओं से स्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया।
  • एफआईआर दर्ज:
    • UPSC की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने खेडकर के खिलाफ मामला दर्ज किया।
    • गिरफ्तारी से बचने के लिए खेडकर ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी।

हाईकोर्ट का आदेश और तर्क

दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर 2024 को खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।

  • जज चंद्रधारी सिंह:
    • कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह मामला बनता है कि खेडकर ने OBC और दिव्यांग कोटे का अनुचित लाभ उठाने के लिए UPSC को धोखा दिया।
    • जांच में पाया गया कि खेडकर इन लाभों के लिए योग्य नहीं थीं।
    • उन्होंने अज्ञात व्यक्तियों के साथ मिलकर दस्तावेजों में हेराफेरी की।

आने वाले कदम

यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।

  • सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि खेडकर को अग्रिम जमानत दी जाए या नहीं।
  • यह मामला आरक्षण प्रणाली और सरकारी सेवाओं में चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर एक अहम उदाहरण बन सकता है।