दिल्ली विधानसभा चुनाव का मुकाबला दिन-ब-दिन तीखा होता जा रहा है। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और आतिशी जैसे आम आदमी पार्टी (आप) के दिग्गज नेताओं को चुनौती देने के बाद, भाजपा अब ग्रेटर कैलाश (जीके) विधानसभा सीट पर सौरभ भारद्वाज के खिलाफ स्मृति ईरानी को उतारने पर विचार कर रही है।
भाजपा की रणनीति: जीके सीट पर करिश्माई चेहरा
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा ने ग्रेटर कैलाश सीट के लिए एक ऐसा उम्मीदवार चुनने पर लंबी चर्चा की है, जो सौरभ भारद्वाज जैसे लोकप्रिय और तीन बार के विधायक को कड़ी चुनौती दे सके। स्मृति ईरानी, जिन्हें भाजपा में एक करिश्माई नेता के रूप में देखा जाता है, इस चर्चा में शीर्ष पर हैं।
भाजपा का मानना है कि स्मृति ईरानी का राजनीतिक अनुभव और उनकी प्रभावी छवि पार्टी की जीत की संभावनाओं को मजबूत कर सकती है।
स्मृति ईरानी: भाजपा की भरोसेमंद नेता
स्मृति ईरानी को भाजपा में एक ऊर्जावान और मुखर नेता के तौर पर जाना जाता है। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनके गढ़ अमेठी से हराकर राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी थीं।
दिल्ली भाजपा का मानना है कि स्मृति ईरानी का चुनावी अनुभव और उनकी करिश्मा जीके सीट पर ‘आप’ के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज को कड़ी टक्कर दे सकता है।
ग्रेटर कैलाश सीट: क्यों है यह महत्वपूर्ण?
ग्रेटर कैलाश विधानसभा सीट दिल्ली की सबसे प्रतिष्ठित सीटों में से एक है।
- सौरभ भारद्वाज का प्रभाव:
- सौरभ भारद्वाज तीन बार के विधायक और ‘आप’ के प्रमुख नेताओं में से एक हैं।
- उनकी पकड़ क्षेत्र के मतदाताओं पर मजबूत मानी जाती है।
- भाजपा के लिए यह सीट बेहद अहम है क्योंकि यह पार्टी की उपस्थिति को मजबूत करने का प्रतीक बन सकती है।
अन्य संभावित उम्मीदवार
स्मृति ईरानी के अलावा, भाजपा की दिल्ली कोर कमेटी ने तीन अन्य नामों पर भी विचार किया है:
- आरती मेहरा:
- भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और पूर्व मेयर।
- ग्रेटर कैलाश निवासी, स्थानीय समर्थन का फायदा।
- शिखा राय:
- जीके वार्ड की मौजूदा पार्षद।
- 2020 के विधानसभा चुनाव में सौरभ भारद्वाज से हार चुकी हैं।
- मीनाक्षी लेखी:
- पूर्व केंद्रीय मंत्री।
- हालांकि, वे दिल्ली कैंट से चुनाव लड़ने के लिए अधिक इच्छुक बताई जा रही हैं।
चुनौती और सावधानी
भाजपा के भीतर यह चर्चा भी हो रही है कि पार्टी को बाहर से नेताओं को उम्मीदवार के तौर पर लाने से बचना चाहिए।
- 2015 का उदाहरण:
- 2015 में किरण बेदी को सीएम उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने बड़ा दांव खेला था।
- उनकी लोकप्रियता के बावजूद, पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था।
- स्थानीय कार्यकर्ताओं की नाराजगी:
- बाहरी चेहरा उतारने से स्थानीय कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर सकता है।
- कई नेता ऐसे कदम उठाने से बचने की सलाह दे रहे हैं।
आप बनाम भाजपा: अन्य सीटों पर दांव
भाजपा ने दिल्ली के अन्य प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों में ‘आप’ के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ बड़े नामों को मैदान में उतारा है:
- नई दिल्ली सीट:
- अरविंद केजरीवाल के खिलाफ प्रवेश वर्मा।
- पश्चिमी दिल्ली के पूर्व सांसद और जाट नेता।
- कालकाजी सीट:
- आतिशी के खिलाफ रमेश बिधूड़ी।
- दक्षिण दिल्ली के पूर्व सांसद।
स्मृति ईरानी की एंट्री: भाजपा की उम्मीद
यदि भाजपा स्मृति ईरानी को ग्रेटर कैलाश से उतारती है, तो यह मुकाबला बेहद रोचक हो जाएगा।
- स्मृति की मजबूत छवि और सौरभ भारद्वाज का स्थानीय समर्थन चुनावी मुकाबले को तीव्र बना सकते हैं।
- भाजपा को उम्मीद है कि स्मृति का करिश्मा पार्टी के लिए मतदाताओं का रुझान बदल सकता है।