भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट: सेंसेक्स और निफ्टी में बिकवाली का दौर जारी

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सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में लगातार चौथे सत्र में गिरावट देखने को मिली। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें, रुपये की कमजोरी, और विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने बाजार पर दबाव बनाया।

  • सेंसेक्स:
    • पिछले बंद स्तर 77,378.91 से गिरकर 76,629.90 पर खुला।
    • इंट्राडे लो पर यह 76,535.24 तक लुढ़क गया, जो 800 अंकों (1%) से अधिक की गिरावट है।
  • निफ्टी 50:
    • 23,431.50 के पिछले बंद के मुकाबले 23,195.40 पर खुला।
    • कारोबार के दौरान 250 अंक टूटकर 23,172.70 तक पहुंच गया।

मिड और स्मॉलकैप सेगमेंट में बिकवाली ज्यादा रही, जिसमें BSE मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में 2% तक की गिरावट दर्ज की गई।

निवेशकों को भारी नुकसान

  • पिछले चार सत्रों में नुकसान:
    • बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 430 लाख करोड़ रुपये से घटकर 425 लाख करोड़ रुपये रह गया।
    • चार दिनों में निवेशकों को 17 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

शेयर बाजार में गिरावट के कारण

1. कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें

  • तेल की कीमतें तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं।
  • अमेरिकी प्रतिबंध:
    • यह चीन और भारत जैसे बड़े आयातकों के लिए रूसी तेल आपूर्ति पर असर डाल सकता है।
  • कच्चे तेल की महंगाई से:
    • भारत का आयात बिल बढ़ेगा।
    • राजकोषीय दबाव और रुपये पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

2. रुपये की कमजोरी

  • सोमवार को रुपया 23 पैसे गिरकर 86.27 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया।
  • डॉलर में मजबूती और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने रुपये को दबाव में डाला।

3. विदेशी निवेशकों की बिकवाली (FPI):

  • दिसंबर में एफपीआई ने 16,982 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
  • जनवरी में अब तक 21,350 करोड़ रुपये की बिकवाली हुई।
  • पिछले साल अक्टूबर में 1,14,445 करोड़ रुपये और नवंबर में 45,974 करोड़ रुपये की बिकवाली दर्ज हुई थी।

4. अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि:

  • मजबूत अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों और फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम होने से बॉन्ड यील्ड बढ़ी।
  • इससे विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों से पैसा निकाला।

5. तीसरी तिमाही के कमजोर नतीजे की आशंका:

  • विशेषज्ञों का मानना है कि Q3 में नतीजे कमजोर रहेंगे, और बाजार का दबाव Q4 तक जारी रह सकता है।

6. बजट 2025 से जुड़ी सतर्कता:

  • केंद्रीय बजट 2025 के निकट आने से निवेशक सतर्क हैं।
  • यदि बजट लोकलुभावन रहा, तो बाजार में और गिरावट हो सकती है।

अमेरिकी फेड और वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रभाव

  • यूएस फेड रेट कट की उम्मीदें कम:
    • अमेरिकी रोजगार डेटा के मजबूत रहने से फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बनाए रख सकता है।
  • डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों पर अनिश्चितता:
    • ट्रंप प्रशासन की संभावित व्यापारिक नीतियां भारत समेत एशियाई बाजारों पर असर डाल सकती हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

  • कमजोर विकास दर:
    • वित्तीय वर्ष 2024-25 में जीडीपी ग्रोथ दर 6.4% रहने का अनुमान, जो चार साल का निचला स्तर है।
  • राजकोषीय दबाव:
    • कच्चे तेल और रुपये की कमजोरी का असर।

क्या करें निवेशक?

  1. सतर्कता बरतें:
    • बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा।
  2. मजबूत स्टॉक्स में निवेश करें:
    • दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ फंडामेंटली मजबूत कंपनियों पर ध्यान दें।
  3. विविधीकरण:
    • जोखिम कम करने के लिए पोर्टफोलियो को विविध बनाएं।