यूपी में बिजली निगमों के निजीकरण पर विवाद: विरोध के बीच UPPCL ने प्रक्रिया तेज की

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उत्तर प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL और PUVVNL) के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। दोनों निगमों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने UPPCL प्रबंधन को नई कंपनियां बनाने और निजीकरण से जुड़े निर्णय लेने का अधिकार दिया है।

निजीकरण का विरोध: प्रदेशव्यापी आंदोलन

निजीकरण के इस कदम का विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने कड़ा विरोध किया है। समिति ने 13 जनवरी को राजधानी लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में विरोध सभाएं आयोजित कीं।

  • कर्मचारियों का विरोध:
    • बिजली कर्मचारी, संविदाकर्मी, और अभियंता काली पट्टी बांधकर काम कर रहे हैं।
    • राजधानी लखनऊ और सभी जिलों में विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए।
  • संघर्ष समिति का बयान:
    • “जब तक निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया जाएगा, आंदोलन जारी रहेगा।”
    • समिति के अनुसार, निजीकरण उपभोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों के लिए नुकसानदेह होगा।

निजीकरण के खिलाफ जनजागरण

रविवार को संघर्ष समिति ने अवकाश के दिन लखनऊ के गोमती नगर एक्सटेंशन में रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के माध्यम से आम उपभोक्ताओं को निजीकरण के संभावित नुकसान के बारे में जानकारी दी।

  • मुख्य आरोप:
    • निजीकरण से बिजली दरों में वृद्धि की आशंका।
    • उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाओं के बजाय मुनाफे पर ध्यान केंद्रित करने वाले निजी घरानों का सामना करना पड़ेगा।

प्रबंधन पर मिलीभगत के आरोप

संघर्ष समिति ने UPPCL प्रबंधन पर निजी घरानों से मिलीभगत का गंभीर आरोप लगाया।

  • समिति का दावा:
    • प्रबंधन लाखों करोड़ रुपये की परिसंपत्तियां पहले से तय निजी घरानों को कौड़ियों के मोल बेचने की योजना बना रहा है।
    • वितरण निगमों की जमीनें मात्र 1 रुपये प्रति वर्ष की लीज पर देने का प्रस्ताव घातक है।
    • निजीकरण से सरकारी संपत्तियों का बड़ा नुकसान होगा।

आंदोलन की अगली रणनीति

संघर्ष समिति ने अपने अगले कदमों का ऐलान करने की योजना बनाई है।

  • आगामी कार्यक्रम:
    • विरोध को और तेज करने के लिए प्रदेशव्यापी हड़ताल का आयोजन।
    • आम उपभोक्ताओं के साथ मिलकर निजीकरण के खिलाफ व्यापक जनआंदोलन।

निजीकरण: सरकार का पक्ष

UPPCL के अनुसार, निजीकरण से वितरण प्रणाली में सुधार होगा और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं मिलेंगी।

  • मुख्य उद्देश्य:
    • बिजली आपूर्ति में दक्षता बढ़ाना।
    • वितरण में घाटे को कम करना।

निजीकरण के विरोध में क्या दांव पर है?

  • कर्मचारियों का भविष्य:
    • सरकारी कर्मचारियों और संविदाकर्मियों की नौकरी पर खतरा।
  • उपभोक्ताओं की चिंताएं:
    • बिजली दरों में बढ़ोतरी और सेवाओं की गुणवत्ता में गिरावट का डर।
  • राज्य संपत्ति का नुकसान:
    • निजी घरानों को संपत्तियां कम कीमत पर सौंपे जाने का आरोप।