फ्लश टैंक पर डुअल बटन: पानी की बचत का आसान तरीका

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क्या आपने कभी टॉयलेट में फ्लश टैंक पर लगे दो बटनों के बारे में सोचा है? इनमें से एक बटन छोटा होता है और दूसरा बड़ा, और दोनों का काम पानी को फ्लश करना होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि इन बटनों का असली उपयोग क्या है? चलिए जानते हैं कि ये डुअल फ्लश सिस्टम क्यों बनाया गया है।

डुअल फ्लश का महत्व

टॉयलेट में डुअल फ्लश का उपयोग मुख्य रूप से पानी की बचत के लिए किया जाता है। फ्लश के बड़े बटन का उपयोग मल को बहाने के लिए किया जाता है, जो एक बार में लगभग 6 से 9 लीटर पानी रिलीज करता है। वहीं, छोटा बटन यूरिन के लिए होता है, जो एक बार में करीब 3 से 4 लीटर पानी रिलीज करता है। हालांकि, कई लोग सही जानकारी न होने के कारण हमेशा बड़े बटन का ही उपयोग करते हैं।

डुअल फ्लश सिस्टम का आविष्कार

डुअल फ्लश सिस्टम का विचार अमेरिका के औद्योगिक डिजाइनर विक्टर पेपानेक ने दिया था, जिसका उल्लेख उनकी 1976 की किताब ‘डिजाइन फॉर द रियल वर्ल्ड’ में किया गया है। हालांकि, इसे दुनिया में सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया में 1980 में लागू किया गया, जिसके बाद अन्य देशों में भी इसका प्रचलन बढ़ा।

डुअल फ्लश सिस्टम के फायदे

डुअल फ्लश सिस्टम का उपयोग करने से व्यक्ति एक साल में लगभग 20,000 लीटर पानी तक बचा सकता है। हालांकि, यह सामान्य फ्लश की तुलना में थोड़े महंगे पड़ सकते हैं, लेकिन यह पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ आपके पानी के बिल में भी कमी लाने में मदद करते हैं।

इन सरल तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, अगली बार जब आप टॉयलेट का उपयोग करें, तो सही बटन का चुनाव करें और पानी की बचत में योगदान दें!