दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है। एक हालिया सर्वेक्षण में तीन संभावित परिस्थितियों का आकलन किया गया है, जिसमें भाजपा सत्ता के बेहद करीब नजर आ रही है। वहीं, अरविंद केजरीवाल की पार्टी को पिछले चुनावों की तुलना में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
क्या ‘आप’ चौथी बार बनाएगी सरकार?
2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में क्रमशः 67 और 62 सीटें जीतने वाली ‘आप’ इस बार अपने प्रभाव को बनाए रखने के लिए संघर्ष करती दिख रही है। टाइम्स नाउ जेवीसी पोल के मुताबिक, अगर भाजपा ने चुनावी वादों और मुफ्त सुविधाओं पर फोकस किया, तो वह ‘आप’ के लिए कड़ी चुनौती पेश कर सकती है।
महिला वोटर्स: किसके पक्ष में झुकेगा रुख?
सर्वेक्षण में महिला वोटर्स को एक निर्णायक कारक माना गया है।
- पहली स्थिति:
यदि भाजपा ने महिलाओं के लिए कोई विशेष योजना नहीं बनाई, तो ‘आप’ को 55% महिला वोट मिल सकते हैं। इस स्थिति में:- आप: 56-60 सीटें
- भाजपा: 10-14 सीटें
- कांग्रेस: 0 सीट
- दूसरी स्थिति:
अगर भाजपा ने महिलाओं के लिए “लाडली बहना” जैसी स्कीम की घोषणा की, तो मुकाबला कड़ा हो सकता है। इस स्थिति में:- आप: 33-37 सीटें
- भाजपा: 33-36 सीटें
- कांग्रेस: 1 सीट
- तीसरी स्थिति:
यदि कांग्रेस ने “प्यारी दीदी स्कीम” और अन्य मुफ्त योजनाओं को सही ढंग से प्रचारित किया, तो भाजपा को फायदा मिल सकता है। इस स्थिति में:- आप: 27-33 सीटें
- भाजपा: 37-41 सीटें
- कांग्रेस: 0-2 सीटें
भाजपा के वादों का असर
भाजपा ने संकेत दिया है कि वह मुफ्त योजनाओं को जारी रखेगी और महिलाओं के लिए सहायता राशि की भी घोषणा कर सकती है। पार्टी के 300 यूनिट मुफ्त बिजली जैसे वादे भी संभावित हैं। इस रणनीति से भाजपा ‘आप’ को कड़ी टक्कर दे सकती है।
कांग्रेस का प्रदर्शन: खेल बदलने वाला फैक्टर?
सर्वे के अनुसार, यदि कांग्रेस अपने वादों को जनता के बीच प्रभावी ढंग से पहुंचाती है और 7% से अधिक वोट हासिल करती है, तो यह भाजपा के पक्ष में जा सकता है। कांग्रेस का प्रदर्शन भाजपा और ‘आप’ के बीच मुकाबले को निर्णायक बना सकता है।