Gorakhpur-Siliguri Expressway Route: उत्तर प्रदेश में विकास को गति देने के लिए नए एक्सप्रेसवे का जाल बिछाने का कार्य तेजी से चल रहा है। इसी कड़ी में गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे के निर्माण की योजना पर काम शुरू हो चुका है। इस एक्सप्रेसवे का निर्माण क्षेत्रीय विकास और परिवहन में क्रांति लेकर आएगा। आइए विस्तार से समझते हैं इस महत्वाकांक्षी परियोजना के हर पहलू को।
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे: यात्रा होगी आसान और तेज़
गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक बनने वाला यह एक्सप्रेसवे लगभग 700 किलोमीटर लंबा होगा। इसके बन जाने से 15 घंटे की यात्रा मात्र 9 घंटे में पूरी हो सकेगी। यह उत्तर प्रदेश के तीन जिलों—गोरखपुर, कुशीनगर और देवरिया—से होकर गुजरेगा, जिनमें 115 किलोमीटर का हिस्सा शामिल होगा।
- समय और ईंधन की बचत: लंबी दूरी की यात्रा के समय में कमी से ईंधन खर्च भी घटेगा।
- विकास को मिलेगी रफ्तार: क्षेत्रीय उद्योगों, खासतौर पर गोरखपुर में स्थापित होने वाली फैक्ट्रियों को नए बाजारों तक पहुंचने का लाभ मिलेगा।
नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से कनेक्टिविटी
यह एक्सप्रेसवे अंतरराष्ट्रीय महत्व भी रखता है। पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी, जो नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के बॉर्डर के करीब है, को गोरखपुर के जरिए उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर भारत से जोड़ने का कार्य करेगा।
- ग्रीन फील्ड प्रोजेक्ट: यह एक ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे होगा, जो पर्यावरण के अनुकूल तरीके से बनाया जाएगा।
- नया सर्वे: पहले इसे लखनऊ-मुजफ्फरपुर हाईवे से जोड़ने का प्रस्ताव था, लेकिन अब जैतपुर में लिंक एक्सप्रेसवे से जोड़ा जाएगा।
3 जिलों को होगा सबसे ज्यादा फायदा
गोरखपुर, कुशीनगर और देवरिया जिले में इस एक्सप्रेसवे का 115 किलोमीटर का हिस्सा होगा।
- किसानों की जमीन: नए सर्वे के मुताबिक, इन जिलों के करीब 115 गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा।
- नए गांवों की संभावनाएं: सर्वे के बाद कुछ और गांव भी इसमें शामिल किए जा सकते हैं।
गीडा: पूर्वी यूपी का उभरता औद्योगिक केंद्र
गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) को इस एक्सप्रेसवे से खास फायदा मिलेगा।
- औद्योगिक विस्तार: गीडा के अंतर्गत धुरियापार में 5500 हेक्टेयर का नया औद्योगिक क्षेत्र प्रस्तावित है।
- फैक्ट्रियों का विस्तार: लिंक एक्सप्रेसवे के किनारे नए औद्योगिक क्षेत्र बनाए जा रहे हैं।
- पेप्सिको जैसी बड़ी कंपनियां: लिंक एक्सप्रेसवे के पास फैक्ट्रियों की स्थापना क्षेत्र में रोजगार और विकास को बढ़ावा दे रही है।
चंपारण और दरभंगा को होगा लाभ
यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश से बिहार के चंपारण, दरभंगा, सीतामढ़ी और फारबिसगंज होते हुए पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी तक जाएगा।
- यात्रा का समय कम: सिलीगुड़ी से गोरखपुर की यात्रा 15 घंटे से घटकर 8-9 घंटे में पूरी होगी।
- विकास की रफ्तार: बिहार के चंपारण और सीतामढ़ी जैसे पिछड़े जिलों में विकास की रफ्तार तेज होगी।
- उद्योगों के लिए रास्ता: गीडा में लगने वाली फैक्ट्रियों का माल बिहार, बंगाल और असम तक आसानी से पहुंचाया जा सकेगा।
नई शुरुआत: ब्लूप्रिंट में बदलाव
इस ग्रीन बेल्ट एक्सप्रेसवे के शुरुआती प्रस्ताव में इसे गोरखपुर शहर के पूर्वी हिस्से में कुशीनगर और देवरिया हाईवे के बीच से शुरू करने की योजना थी।
- ब्लूप्रिंट में बदलाव: नए सर्वे के बाद इसे जैतपुर से शुरू करने की योजना बनाई गई है।
- लिंक एक्सप्रेसवे का महत्व: यह लिंक एक्सप्रेसवे मुजफ्फरपुर-लखनऊ फोरलेन से जुड़ेगा।
गोरखपुर-मुजफ्फरपुर हाईवे का लोड होगा कम
इस एक्सप्रेसवे से न केवल उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर भारत जुड़ेंगे, बल्कि गोरखपुर-मुजफ्फरपुर हाईवे पर यातायात का दबाव भी कम होगा।
- सरल परिवहन: यह एक्सप्रेसवे यातायात को सरल बनाएगा और माल ढुलाई में सहायक होगा।
- पर्यटन को बढ़ावा: नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से आने वाले पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा।