मध्य प्रदेश की महिला डीआईजी के ‘ओजस्वी संतान’ टिप्स का वीडियो वायरल, बयान पर मचा हंगामा

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मध्य प्रदेश पुलिस की महिला डीआईजी, सविता सोहाने, का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वह स्कूल के छात्रों को ‘ओजस्वी’ बच्चे पैदा करने के टिप्स देती नजर आ रही हैं। वीडियो में सविता सोहाने, जो शहडोल की डीआईजी हैं, विद्यार्थियों को गर्भधारण के सही समय और उपायों के बारे में बता रही हैं।

क्या कहा डीआईजी ने?

वायरल वीडियो 4 अक्टूबर 2023 का बताया जा रहा है, जब डीआईजी सविता सोहाने ने एक निजी स्कूल में 10वीं से 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए जागरूकता कार्यक्रम में व्याख्यान दिया। वीडियो में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है:
“यदि आप पृथ्वी पर नई पीढ़ी लाना चाहते हैं, तो आपको इसकी योजना बनानी होगी। ध्यान रखें कि पूर्णिमा की रात को गर्भधारण न करें। सूर्य देव को जल अर्पित करें और उनसे प्रार्थना करें ताकि ‘ओजस्वी’ संतान हो।”

कार्यक्रम का उद्देश्य और डीआईजी की सफाई

डीआईजी सविता सोहाने ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि यह ‘मैं हूं अभिमन्यु’ नामक कार्यक्रम का हिस्सा था। कार्यक्रम का उद्देश्य बालिकाओं की सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उनके प्रति सम्मान की भावना को प्रोत्साहित करना था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका वक्तव्य हिंदू धर्मग्रंथों और आध्यात्मिक शिक्षा पर आधारित था।

सविता सोहाने ने कहा:
“मुझे धर्मग्रंथ पढ़ने और संतों के प्रवचन सुनने का शौक है। मेरा बयान आध्यात्मिक ज्ञान और अनुभव से प्रेरित था। मैंने यह सलाह दी कि पूर्णिमा की रात को गर्भधारण से बचना चाहिए, क्योंकि हिंदू धर्म में इसे पवित्र अवधि माना जाता है।”

उन्होंने आगे बताया कि वीडियो को संदर्भ से हटाकर वायरल किया गया है। उनका व्याख्यान लगभग एक घंटे का था, लेकिन केवल चुनिंदा अंश को साझा किया गया।

डीआईजी का शैक्षिक और व्यावसायिक अनुभव

सविता सोहाने ने कहा कि पुलिस सेवा में शामिल होने से पहले वह चार साल तक सागर जिले के एक सरकारी इंटर कॉलेज में लेक्चरर रही हैं। उनका मानना है कि बच्चों को न केवल सुरक्षा के लिए जागरूक करना जरूरी है, बल्कि समाज में महिलाओं और बालिकाओं के प्रति सम्मान का भाव पैदा करना भी अहम है।

विवाद के केंद्र में ‘पूर्णिमा’ की सलाह

सविता सोहाने के पूर्णिमा की रात गर्भधारण से बचने की सलाह ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। जहां कुछ लोग इसे वैज्ञानिक आधार पर सवालिया निशान मान रहे हैं, वहीं अन्य इसे धार्मिक और सांस्कृतिक शिक्षा का हिस्सा बता रहे हैं।

आलोचना और समर्थन

  • आलोचना: कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को छात्रों के बीच ऐसे मुद्दों पर चर्चा करने की बजाय अपराध से बचाव और सुरक्षा के विषयों पर बात करनी चाहिए।
  • समर्थन: वहीं, कुछ लोग इसे भारतीय संस्कृति और धर्मग्रंथों की शिक्षा से जोड़ते हुए सकारात्मक रूप में देख रहे हैं।