Foreign Investors Disclosure: भारत में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने एक अहम कदम उठाया है। अब गवर्नमेंट सिक्योरिटी (G-Sec) में विदेशी निवेश को और आसान बनाया गया है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के लिए निवेश सीमा बढ़ाकर 50,000 करोड़ रुपये कर दी गई है, जिसमें उन्हें अपने निवेशकों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं देनी होगी। पहले यह सीमा केवल 25,000 करोड़ रुपये थी।
FPI से मांगी जाएगी केवल सामान्य जानकारी
सेबी ने स्पष्ट किया है कि गवर्नमेंट सिक्योरिटी में निवेश करते समय विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों से केवल वही जानकारी मांगी जाएगी, जो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) के लिए अनिवार्य है।
इस पहल का मुख्य उद्देश्य:
- सिक्योरिटी मार्केट का टर्नओवर बढ़ाना।
- निवेश प्रक्रिया को पारदर्शी और सरल बनाना।
यह नियम केवल सरकारी बॉन्ड के लिए लागू
सेबी के होल टाइम मेंबर अनंत नारायण ने बताया कि यह नई नीति केवल भारत सरकार के बॉन्ड (G-Sec) के लिए लागू होगी।
- प्राइवेट बॉन्ड: प्राइवेट बॉन्ड में निवेश के लिए मौजूदा नियम पहले की तरह लागू रहेंगे।
- डिटेल्स की आवश्यकता नहीं: अब विदेशी निवेशकों से यह पूछताछ नहीं की जाएगी कि उनके निवेशक कौन हैं, या किसी विशेष सिक्योरिटी में अधिक होल्डिंग क्यों है।
शुक्रवार को जारी हुआ कंसल्टेशन पेपर
सेबी ने शुक्रवार को एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया, जिसमें:
- निवेश सीमा बढ़ाने पर चर्चा की गई।
- सरकारी सिक्योरिटी में निवेश की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए नए प्रपोजल पेश किए गए।
- इसका उद्देश्य डेली मार्केट वॉल्यूम को बढ़ाना और निवेशकों के लिए बाधाओं को खत्म करना है।
यह कंसल्टेशन पेपर सेबी के अगस्त 2023 के सर्कुलर का विस्तार है, जिसमें गवर्नमेंट सिक्योरिटी में निवेश की प्रक्रिया को और आसान बनाने के प्रावधान दिए गए थे।
नए नियमों के संभावित लाभ
- विदेशी निवेश में वृद्धि: नए नियम विदेशी निवेशकों को अधिक आकर्षित करेंगे।
- बाजार में स्थिरता: आसान नियमों के कारण गवर्नमेंट बॉन्ड बाजार में टर्नओवर बढ़ेगा।
- पारदर्शिता: सीमित और प्रासंगिक जानकारी मांगने से बाजार में पारदर्शिता बनी रहेगी।