Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में गैर-सनातनियों की एंट्री पर बैन? महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि का बड़ा बयान

Mahakumbh Mela 2025

Kumbh Mela 2025: भारत के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ की शुरुआत बस कुछ ही दिनों में होने वाली है। यह महापर्व 13 जनवरी 2025 से आरंभ होगा, और पहला शाही स्नान 14 जनवरी को होगा। इस बार उम्मीद की जा रही है कि महाकुंभ में 30 करोड़ से अधिक श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगाएंगे। हालांकि, इस आयोजन से पहले गैर-सनातनियों की एंट्री को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

गैर-सनातनियों की एंट्री पर बैन का सवाल

निरंजनी पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि ने इस मुद्दे पर एक स्पष्ट बयान दिया है। उनका कहना है:

“गैर-सनातनियों को महाकुंभ में आने की आवश्यकता नहीं है। वे न तो गंगा में स्नान करेंगे, न संतों का दर्शन और चरण स्पर्श करेंगे, और न ही शांति बनाए रखेंगे। इसके अलावा, उनका खानपान भी शुद्ध नहीं होगा और वे सनातन धर्म में आस्था नहीं रखते।”

महामंडलेश्वर ने इस महाकुंभ को विशेष बताते हुए कहा कि यह 144 वर्षों बाद आ रहा है और इसमें वे लोग आते हैं जो सनातन धर्म को जानना चाहते हैं। महाकुंभ का उद्देश्य आत्मिक सुख और शांति की प्राप्ति है, जिसे साधु-संतों के सान्निध्य में अनुभव किया जाता है।

धर्म संसद की बैठक और सनातन बोर्ड की मांग

महाकुंभ के दौरान 27 जनवरी 2025 को धर्म संसद का आयोजन होगा। इसमें सनातन बोर्ड और हिंदू राष्ट्र की मांग पर चर्चा की जाएगी।

महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा:

“जब वक्फ बोर्ड और अन्य बोर्ड हो सकते हैं, तो सनातन बोर्ड क्यों नहीं? धर्म संसद में इस पर संत-महात्माओं की सहमति ली जाएगी। इस बोर्ड की अगुवाई अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी करेंगे।”

महाकुंभ को भारत की महान परंपराओं और ऋषि-मुनियों की धरोहर बताते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा आयोजन केवल भारत में ही संभव है। यह आयोजन भारत की एकता और सनातन संस्कृति का संदेश देता है।

ओवैसी के बयान पर प्रतिक्रिया

असदुद्दीन ओवैसी द्वारा हिंदू राष्ट्र के विरोध पर महामंडलेश्वर ने कहा कि:

“साधु-संत ओवैसी की बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते। ओवैसी को भारत की संस्कृति और भारत मां पर कुछ भी बोलने से बचना चाहिए, क्योंकि वे खुद इस भारत भूमि पर रहते हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि योगी आदित्यनाथ द्वारा महाकुंभ के नाम बदलकर संस्कृत नाम रखने का प्रस्ताव स्वागत योग्य है। यह कदम भारतीय परंपराओं और संस्कृति को सम्मान देने का प्रतीक है।

महाकुंभ के आयोजन की तैयारी

स्वामी कैलाशानंद गिरि ने केंद्र और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा की गई तैयारियों को भव्य और ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि:

  • संत, महंत, और नागा संन्यासी शोभायात्रा में धूमधाम से शामिल होंगे।
  • यह आयोजन भारत को संतों और ऋषियों की भूमि के रूप में प्रस्तुत करेगा।
  • महाकुंभ में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के सुरक्षित आगमन और स्नान की कामना की गई है।

महाकुंभ का महत्व

महाकुंभ भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का सबसे बड़ा प्रतीक है। यह आयोजन केवल एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपराओं और आध्यात्मिकता का जीवंत उदाहरण है।

महाकुंभ 2025 भारत की सनातन परंपरा और एकता का संदेश पूरे विश्व में प्रसारित करेगा।