अडानी ग्रुप ने अडानी विल्मर से बाहर निकलने की प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है। 10 जनवरी 2025 को, अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी कमोडिटी ने अडानी विल्मर में अपनी हिस्सेदारी बेचना शुरू कर दी। यह कदम ऑफर फॉर सेल (OFS) के तहत उठाया गया है। इस खबर का सीधा असर अडानी विल्मर के शेयर बाजार प्रदर्शन पर पड़ा है। शुक्रवार को अडानी विल्मर के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई, और यह करीब 10% तक लुढ़क गए।
शेयर बाजार में प्रदर्शन
बीएसई (BSE) पर अडानी विल्मर के शेयर शुक्रवार को 294.85 रुपये पर खुले। दिन के दौरान, भारी गिरावट के चलते यह 292.05 रुपये के इंट्रा-डे लो पर आ गए। कुल मिलाकर, 9.5% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई, जो निवेशकों के लिए चिंता का विषय रही।
कंपनी का आधिकारिक बयान
अडानी विल्मर ने शेयर बाजार को सूचित किया है कि प्रमोटर समूह की एक कंपनी, अडानी कमोडिटी एलएलपी, ने 10 जनवरी को 17,54,56,612 शेयर (कंपनी की कुल हिस्सेदारी का 13.50%) गैर-रिटेल निवेशकों को बेचने का फैसला किया है। इसके अलावा, 13 जनवरी को रिटेल निवेशकों के लिए भी यह प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि इस बिक्री के बाद भी अडानी कमोडिटी के पास 8,44,79,110 शेयर (कुल हिस्सेदारी का 6.5%) रखने का विकल्प होगा। यदि ऑफर फॉर सेल को अधिक सब्सक्रिप्शन मिलता है, तो अडानी कमोडिटी कुल 20% हिस्सेदारी बेच सकती है।
275 रुपये प्रति शेयर का फ्लोर प्राइस
अडानी विल्मर के ऑफर फॉर सेल के लिए 275 रुपये प्रति शेयर का फ्लोर प्राइस तय किया गया है। यह कीमत गुरुवार के क्लोजिंग प्राइस से लगभग 15% अधिक है। इस बिक्री से अडानी ग्रुप को अनुमानित 2 बिलियन डॉलर मिलने की उम्मीद है।
निवेश की भविष्य की योजना
अडानी ग्रुप अडानी विल्मर से प्राप्त धनराशि को अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश करेगा। यह राशि मुख्य रूप से अडानी एंटरप्राइजेज के तहत चल रहे प्रोजेक्ट्स में लगाई जाएगी।
शेयरधारकों के लिए क्या मायने रखती है यह बिक्री?
अडानी विल्मर के शेयरों में हालिया गिरावट ने छोटे और बड़े निवेशकों के लिए चिंता बढ़ा दी है। यह कदम अडानी ग्रुप के अपने अन्य प्रोजेक्ट्स पर फोकस करने की योजना का हिस्सा है, लेकिन निवेशकों के लिए यह समझना जरूरी है कि कंपनी में प्रमोटर हिस्सेदारी का कम होना, लंबी अवधि में शेयर बाजार पर क्या असर डाल सकता है।