उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन पूरी भव्यता और जोश के साथ किया जा रहा है। राज्य सरकार इस ऐतिहासिक आयोजन को सफल बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद तैयारियों की निगरानी कर रहे हैं और बार-बार प्रयागराज का दौरा कर रहे हैं। इस महाकुंभ के आयोजन को लेकर प्रशासन की योजनाओं और व्यवस्थाओं के साथ-साथ कुछ विवादित चर्चाएं भी सामने आईं। खासतौर पर, कुंभ के दौरान मुसलमानों की एंट्री को लेकर सवाल उठे, जिनका मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुलकर जवाब दिया।
योगी आदित्यनाथ का बयान: सनातन परंपरा में आस्था रखने वालों का स्वागत
‘आज तक’ को दिए एक विशेष साक्षात्कार में जब योगी आदित्यनाथ से इस मुद्दे पर सवाल किया गया, तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जो भी भारत की सनातन परंपरा और संस्कृति में आस्था रखता है, वह कुंभ में शामिल हो सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि गलत मानसिकता के साथ आने वालों को चेतावनी दी जाती है। अगर कोई अनुचित गतिविधियों में लिप्त पाया गया, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
योगी आदित्यनाथ ने कुंभ में मुसलमानों की उपस्थिति पर अपनी राय रखते हुए कहा कि ऐसे लोगों का स्वागत है, जो खुद को भारतीय मानते हैं और सनातन परंपरा में विश्वास रखते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों को लगता है कि उनके पूर्वज किसी दबाव में आकर इस्लाम में परिवर्तित हुए थे, लेकिन वे खुद को सनातनी मानते हैं, उनका कुंभ में स्वागत है।
परंपरागत रीति-रिवाजों का पालन करने की शर्त
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रयागराज में कुंभ के दौरान आने वाले सभी लोगों को परंपरागत तरीके से संगम में स्नान और पूजा-पाठ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिनकी मानसिकता शांति और संस्कृति के अनुरूप है, उनके आने पर कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन अगर कोई धार्मिक स्थल पर विवाद खड़ा करने या जमीन पर अधिकार जताने की कोशिश करेगा, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, “ऐसे लोगों को ‘डेंटिंग-पेंटिंग’ का सामना करना पड़ सकता है।”
संतों के साथ मुख्यमंत्री का रात्रि भोज
महाकुंभ की तैयारियों के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संतों और अखाड़ों के प्रमुखों के साथ रात्रि भोज किया। इस विशेष भोज में जूना, निरंजनी, उदासीन बड़ा, निर्मल, और तीनों वैष्णव अखाड़ों (निर्मोही, दिगंबर, निर्वाणी) सहित कई अन्य प्रमुख संत मौजूद रहे।
साधु-संतों ने मुख्यमंत्री का वैदिक मंत्रोच्चार और पुष्प वर्षा के साथ स्वागत किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने संतों को उपहार भी भेंट किए। यह रात्रि भोज कार्यक्रम धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन गया।
महाकुंभ का महत्व और योगी आदित्यनाथ की सक्रियता
महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की महान परंपरा का प्रतीक है। योगी आदित्यनाथ की सक्रिय भागीदारी और संतों के साथ उनका संवाद यह दिखाता है कि सरकार इस आयोजन को न केवल सफल बनाना चाहती है, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करना चाहती है।