राजस्थान के तीन जिलों में पहुंचेगा यमुना का पानी, लाखों हेक्टेयर भूमि होगी सिंचित, 25 हजार करोड़ रुपये होंगे खर्च

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राजस्थान में जल संकट को दूर करने और सिंचाई की बेहतर सुविधाएं देने के लिए एक ऐतिहासिक योजना तैयार की गई है। राज्य की भजनलाल सरकार अब यमुना नदी का पानी राजस्थान के तीन जिलों तक लाने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है। इस परियोजना से लाखों हेक्टेयर भूमि को सिंचित करने और पेयजल आपूर्ति को सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया है।

263 किलोमीटर दूर से आएगा यमुना का पानी

योजना के तहत ताजेवाला हैड से यमुना नदी का पानी तीन अलग-अलग पाइपलाइनों के माध्यम से राजस्थान लाया जाएगा।

  • पाइपलाइन की कुल लंबाई: 263 किलोमीटर
  • कुल लागत: प्रारंभिक अनुमान से 5,000 करोड़ रुपये अधिक बढ़कर 25,000 करोड़ रुपये
  • प्रमुख संरचना: हथिनी कुंड बैराज पर एक इन्टेक पंप हाउस बनाया जाएगा, जिससे हरियाणा पर पानी आपूर्ति के लिए निर्भरता कम होगी।

इन जिलों को मिलेगा लाभ

यमुना जल परियोजना से मुख्य रूप से राजस्थान के तीन जिलों को लाभ मिलेगा:

  • झुंझुनूं
  • सीकर
  • चूरू

इन जिलों में सिंचाई के साथ-साथ पेयजल आपूर्ति भी सुनिश्चित होगी, जिससे किसानों और स्थानीय लोगों को सीधा फायदा मिलेगा।

परियोजना का उद्देश्य और चरणबद्ध क्रियान्वयन

इस योजना को दो चरणों में पूरा किया जाएगा:

पहला चरण:

  • चूरू, सीकर, झुंझुनूं और राजस्थान के अन्य भागों में पेयजल उपलब्ध करवाना।
  • इन जिलों में जल संकट को दूर करना।

दूसरा चरण:

  • चूरू जिले में 35,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई।
  • झुंझुनूं जिले में 70,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई।
  • कृषि उत्पादन में वृद्धि और किसानों की आय बढ़ाने पर ध्यान।

दिल्ली बैठक के बाद योजना में तेजी

इस परियोजना को अमलीजामा पहनाने के लिए हाल ही में दिल्ली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित हुई। इसमें राजस्थान और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया। बैठक के बाद योजना में और तेजी लाई गई है।

राजस्थान ने दिखाई सक्रियता, हरियाणा रहा सुस्त

  • फरवरी 2024 में केंद्रीय जल आयोग और दोनों राज्यों ने संयुक्त रूप से डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाने का समझौता किया था।
  • राजस्थान ने 14 मार्च को टास्क फोर्स का गठन कर दिया, जबकि हरियाणा सरकार ने इसमें देर कर दी।
  • पिछले साल 8 अप्रैल और 5 जुलाई को राजस्थान ने हरियाणा सरकार को पत्र भेजकर टास्क फोर्स के गठन का अनुरोध किया था, लेकिन हरियाणा ने इसमें देरी की।

रेलवे ट्रैक के पास पाइपलाइन बिछाने की योजना टली

  • पहले रेलवे ट्रैक के पास पाइपलाइन बिछाने का प्रस्ताव था।
  • इसके लिए रेल मंत्री को पत्र भी लिखा गया था।
  • हालांकि, कुरुक्षेत्र से हिसार और हिसार से सिवानी तक संयुक्त निरीक्षण के बावजूद, यह विकल्प कम उपयुक्त माना गया।

स्टोरेज के लिए बनाए जाएंगे नए रिजर्वायर

परियोजना के तहत पानी को संग्रहित करने के लिए नए रिजर्वायर बनाए जाएंगे:

  • मुख्य रिजर्वायर: चूरू जिले के हांसियावास में।
  • दूसरा रिजर्वायर: झुंझुनूं जिले के बुहाना तहसील में।
  • इन रिजर्वायरों में पानी संग्रहित किया जाएगा और जरूरत के अनुसार सिंचाई और पेयजल आपूर्ति की जाएगी।

25 हजार करोड़ की लागत: बड़ी जल परियोजना की विशेषताएं

  • 263 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन।
  • 25,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत।
  • तीन प्रमुख जिलों में सिंचाई और पेयजल आपूर्ति।
  • हथिनी कुंड बैराज पर स्वयं का इन्टेक पंप हाउस।

परियोजना के संभावित लाभ

जल संकट में राहत: राजस्थान के सूखाग्रस्त जिलों में जल आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
सिंचाई में सुधार: लाखों हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी।
कृषि उत्पादन में वृद्धि: सिंचाई सुविधा बढ़ने से फसल उत्पादन और किसानों की आय में बढ़ोतरी।
पेयजल संकट से मुक्ति: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पर्याप्त पेयजल उपलब्ध होगा।