दिल्ली का सियासी तापमान चरम पर, आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन पर बढ़ी चर्चा

Sp Chief Akhilesh Yadav Had Anno

दिल्ली की राजनीति इन दिनों गर्मा गई है। आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP), और कांग्रेस के बीच तीखी जुबानी जंग जारी है। तीनों ही दल खुद को जनता का सच्चा हितैषी बता रहे हैं। इस बीच, इंडिया गठबंधन भी सुर्खियों में है, क्योंकि इसमें शामिल कुछ क्षेत्रीय दल खुलकर आप का समर्थन कर रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस इस गठबंधन का एक अहम हिस्सा है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दिल्ली चुनाव में आप और कांग्रेस को साथ मिलकर लड़ना चाहिए था। आइए, जानते हैं इसके पीछे की वजह।

भाजपा को हराना प्राथमिक लक्ष्य

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल को फोन कर विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के समर्थन की पेशकश की।

  • यह पेशकश इंडिया ब्लॉक के अन्य नेताओं के बीच हुई चर्चाओं का नतीजा थी।
  • टीएमसी के नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने केजरीवाल के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा:

    “हम आपस में बात कर रहे हैं। हमारा साझा लक्ष्य भाजपा को हराना है।”

जिंजर ग्रुप की ओर बढ़ते कदम

इंडिया ब्लॉक के अंदर कुछ क्षेत्रीय दल एक ‘जिंजर ग्रुप’ बनाने की ओर बढ़ रहे हैं।

  • आप, टीएमसी, समाजवादी पार्टी (सपा) और शिवसेना जैसी पार्टियां इस समूह का हिस्सा बन सकती हैं।
  • इन दलों के बीच अनौपचारिक चर्चाओं के बाद सपा ने मंगलवार को और ममता बनर्जी ने बुधवार को केजरीवाल को समर्थन देने की घोषणा की।
  • इस घटनाक्रम को एक नई रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, जहां मजबूत क्षेत्रीय दल मिलकर भाजपा के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं।

कांग्रेस का कमजोर स्ट्राइक रेट

कई नेताओं ने कांग्रेस की कमजोर प्रदर्शन क्षमता को इन समीकरणों के बदलने की वजह बताया।

  • हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार ने उत्तर भारत में भाजपा के खिलाफ उसकी कमजोरी को उजागर किया।
  • महाराष्ट्र में भी महा विकास अघाड़ी के नेतृत्व में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।
  • जिन राज्यों में कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ी, वहां उसका स्ट्राइक रेट बेहद खराब रहा, जैसे:
    • गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, उत्तराखंड, और गोवा।
  • कांग्रेस केवल उन्हीं राज्यों में सीटें जीत सकी, जहां उसके पास मजबूत सहयोगी थे।

कांग्रेस को संकेत देने की कोशिश

इंडिया ब्लॉक के एक वरिष्ठ नेता ने कहा:

“मजबूत क्षेत्रीय दलों ने तय किया है कि उन्हें एक जिंजर ग्रुप बनाकर कांग्रेस को एक राजनीतिक संदेश देना चाहिए। दिल्ली का यह प्रयोग इसी दिशा में एक कदम है।”

टीएमसी और सपा जैसी पार्टियों के लिए दिल्ली में आप का समर्थन करना आसान है, क्योंकि इन राज्यों में उनका कोई मजबूत दावेदार नहीं है। लेकिन कांग्रेस और आप, जो दिल्ली में एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी हैं, के लिए यह समझौता करना चुनौतीपूर्ण है।