ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) पर देश के प्रमुख वायरोलॉजिस्ट डॉ. सौमित्र दास ने कहा है कि इसकी तुलना कोरोनावायरस (SARS-CoV-2) से नहीं की जा सकती, लेकिन इसे सावधानीपूर्वक संभालने की आवश्यकता है। भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बैंगलोर के माइक्रोबायोलॉजी और सेल बायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और चेयरमैन दास ने कहा कि यह वायरस नया नहीं है और 2001 में पहली बार सामने आया था।
“HMPV नया वायरस नहीं है, इसलिए घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। हालांकि, इसे गंभीरता से लेना चाहिए और सतर्क रहना चाहिए,” उन्होंने News18 को बताया।
HMPV: 2001 में हुई थी पहचान
- पहली बार 2001 में सामने आया:
- HMPV को पहली बार 2001 में एक बच्चे में पहचाना गया था।
- यह सांस की बीमारियों का कारण बन सकता है।
- चीन में प्रकोप:
- 2001 के बाद पहली बार, चीन ने इस वायरस का बड़ा प्रकोप दर्ज किया है।
- प्रकोप दुर्लभ है:
- डॉ. दास ने बताया कि अब तक HMPV के बड़े प्रकोप की कोई जानकारी नहीं थी, जैसा कि अब चीन में देखा गया है।
HMPV के शुरुआती लक्षण
डॉ. दास के अनुसार, HMPV संक्रमण के शुरुआती लक्षण आमतौर पर सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे होते हैं।
- शुरुआती लक्षण:
- खांसी।
- जुकाम।
- गले में खराश।
- गंभीर मामलों में:
- कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में यह ब्रोंकियोलाइटिस (फेफड़ों में सूजन) और निमोनिया का कारण बन सकता है।
- शिशुओं और बुजुर्गों पर यह अधिक प्रभाव डाल सकता है।
SARS-CoV-2 से तुलना नहीं संभव
डॉ. दास ने स्पष्ट किया कि HMPV, SARS-CoV-2 (Covid-19 का वायरस) जितना गंभीर नहीं है।
- Covid-19 जैसा खतरा नहीं:
- HMPV वर्तमान में Covid-19 जैसा वैश्विक खतरा नहीं बनाता है।
- ILI और SARI का कारण:
- कुछ मामलों में, यह इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (ILI) या गंभीर श्वसन संक्रमण (SARI) का कारण बन सकता है।
किसे रहना चाहिए ज्यादा सतर्क?
डॉ. दास ने कहा कि भले ही HMPV गंभीर न हो, लेकिन इन समूहों को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है:
- शिशु और छोटे बच्चे।
- बुजुर्ग।
- कमजोर इम्युनिटी वाले लोग।
“कमजोर इम्युनिटी वाले लोग और छोटे बच्चों को विशेष रूप से इस वायरस से बचाने की जरूरत है।”
INSACOG का उपयोग बढ़ेगा
- HMPV की निगरानी:
- भारत में HMPV की निगरानी बढ़ाने के लिए INSACOG (Indian SARS-CoV-2 Genomics Consortium) का उपयोग किया जा सकता है।
- INSACOG क्या है?
- यह 50 से अधिक लैब का नेटवर्क है, जो Covid-19 वायरस के जीनोमिक विविधताओं पर नजर रखता है।
- इसे नए वायरस सबवेरिएंट की पहचान और समझने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
- जीनोम सीक्वेंसिंग:
- यह तकनीक HMPV जैसे वायरस के किसी भी बदलाव को ट्रैक करने में मदद कर सकती है।
HMPV: सतर्कता जरूरी, लेकिन घबराने की नहीं
- डॉ. दास का संदेश:
- HMPV कोई नया वायरस नहीं है और इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है।
- हालांकि, कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों और शिशुओं के लिए विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए।
- भारत की तैयारी:
- INSACOG के नेटवर्क का उपयोग कर भारत HMPV पर नजर रखने और आवश्यक कदम उठाने के लिए पूरी तरह तैयार है।