13 जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ मेला शुरू होगा. कुंभ मेले को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र आयोजनों में से एक माना जाता है। महाकुंभ मेले का समय ग्रहों की विशेष स्थिति को देखकर तय किया जाता है। मान्यता है कि इस दौरान पवित्र नदियों का जल अमृत बन जाता है। इसलिए महाकुंभ के दौरान श्रद्धालु गंगा, यमुना आदि नदियों में स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं।
हालाँकि, महाकुंभ में डुबकी लगाते समय आपको कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। आज हम आपको इन नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं, अगर आप भी महाकुंभ में स्नान करने जा रहे हैं तो इन बातों का ध्यान रखें।
महाकुंभ 2025
13 जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ शुरू होगा और यह पावन पर्व 26 फरवरी को समाप्त होगा. इस दौरान करोड़ों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचेंगे और कुंभ में डुबकी लगाएंगे. इस दौरान आपको कुछ नियमों का पालन करना चाहिए, तभी आपको शुभ फल प्राप्त होंगे।
नियम 1
महाकुंभ के दौरान सबसे पहले नागा साधु स्नान करते हैं। नागा साधुओं के स्नान करने के बाद ही अन्य लोग स्नान कर सकते हैं। इसलिए भूलकर भी महाकुंभ के दिन नागा साधुओं के सामने डुबकी नहीं लगानी चाहिए। ऐसा करना धार्मिक दृष्टि से अच्छा नहीं माना जाता है। यह नियमों का उल्लंघन है और इससे कुंभ स्नान का शुभ फल नहीं मिलता है।
नियम 2
अगर आप महाकुंभ में डुबकी लगाने जा रहे हैं तो इस बात का भी ध्यान रखें कि ग्रहस्थों को 5 बार डुबकी लगानी चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब गृहस्थ लोग महाकुंभ में 5 बार डुबकी लगाते हैं, तो उनका कुंभ स्नान पूरा माना जाता है।
नियम 3
महाकुंभ में स्नान करने के बाद आपको दोनों हाथों से सूर्य भगवान को जल अर्पित करना चाहिए। कुंभ मेले का आयोजन सूर्य भगवान की विशेष स्थिति को ध्यान में रखते हुए किया जाता है, इसलिए महाकुंभ में सूर्य भगवान को अर्घ्य देने के साथ स्नान करने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है। कुंभ स्नान के दौरान सूर्य को अर्घ्य देने से भी कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है।
नियम 4
कुंभ में स्नान के बाद आपको प्रयागराज में हनुमानजी या नागवासुकि मंदिर के दर्शन करने चाहिए। मान्यताओं के अनुसार इन मंदिरों के दर्शन के बाद ही भक्तों की धार्मिक यात्रा पूरी मानी जाती है।