सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह के मामले पर पुनर्विचार: पांच जजों की पीठ करेगी सुनवाई

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सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार करने वाले अक्टूबर 2023 के फैसले की समीक्षा के लिए दायर 13 याचिकाओं पर गुरुवार को विचार करेगी। यह सुनवाई न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा, और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ द्वारा उनके चैंबर में की जाएगी।

चैंबर में होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अनुसार, पुनर्विचार याचिकाओं पर चैंबर में सुनवाई की जाती है।

  • इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।
  • न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के इस मामले से खुद को अलग करने के बाद, जुलाई 2024 में नई पीठ का गठन किया गया।

क्या है मामला?

17 अक्टूबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने 3-2 के बहुमत से फैसला सुनाया था कि:

  1. समलैंगिक विवाह और नागरिक संघों को कानूनी मान्यता देना संविधान द्वारा संरक्षित अधिकार नहीं है।
  2. यह मामला संसद और राज्य विधानसभाओं के क्षेत्राधिकार में है।

बहुमत के जजों ने कहा था कि समलैंगिक जोड़ों को विवाह करने का अधिकार संविधान द्वारा सीधे तौर पर संरक्षित नहीं है।

  • न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने असहमति जताते हुए LGBTQIA+ समुदाय के अधिकारों पर जोर दिया था।
  • दोनों जजों ने तर्क दिया कि LGBTQIA+ व्यक्तियों को संघ बनाने और बच्चों को गोद लेने का संवैधानिक अधिकार मिलना चाहिए।

पुनर्विचार की आवश्यकता क्यों?

इस मामले के पिछले उल्लेख के दौरान, वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल और अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि:

  • यह मामला राष्ट्रीय महत्व और सामाजिक बदलाव से जुड़ा है।
  • ऐसे मामलों को सामान्य चैंबर सुनवाई के दायरे से बाहर लाकर व्यापक सार्वजनिक चर्चा के लिए लाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: विधायी क्षेत्राधिकार पर जोर

अक्टूबर 2023 के फैसले में:

  • तीन जजों ने कहा था कि समलैंगिक जोड़ों को शादी या नागरिक संघों में प्रवेश करने का अधिकार संविधान के तहत सुरक्षित नहीं है।
  • न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति खन्ना ने LGBTQIA+ समुदाय के लिए संवैधानिक सुरक्षा की वकालत की।
  • उन्होंने राज्य के कर्तव्य को रेखांकित करते हुए सक्षम कानून बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

पुनर्गठित पीठ और आगे की प्रक्रिया

  • न्यायमूर्ति संजय खन्ना, जो अब भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) हैं, ने अपनी प्रशासनिक क्षमता में नई पीठ का गठन किया।
  • अब यह नई पीठ 13 पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार करेगी।