भारत की हार के बाद योगराज सिंह का बयान: सीनियर खिलाड़ियों और कोचिंग मैनेजमेंट पर उठाए सवाल”

Yograj Singh On Gambhir Virat Ro

भारत ने पर्थ में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का शानदार आगाज किया, लेकिन सीरीज 3-1 से ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में समाप्त हुई। भारतीय सीनियर बल्लेबाजों का प्रदर्शन इस सीरीज में बेहद खराब रहा, जिससे भारत को हार का सामना करना पड़ा। इसी को लेकर पूर्व भारतीय क्रिकेटर और युवराज सिंह के पिता, योगराज सिंह ने सीनियर बल्लेबाजों की कमजोरियों और कोचिंग मैनेजमेंट पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने विराट कोहली की ऑफ-साइड कमजोरी, रोहित शर्मा की फॉर्म और गौतम गंभीर की कोचिंग पर अपनी राय दी।

विराट कोहली की तकनीकी कमजोरी पर टिप्पणी

विराट कोहली ने सीरीज में 9 पारियों में केवल 190 रन बनाए, जिसमें एक शतक शामिल था। उन्हें 8 बार ऑफ स्टंप के बाहर की गेंदों पर स्लिप या विकेटकीपर के हाथों कैच आउट होना पड़ा। इस पर योगराज ने कहा:”विराट बार-बार ऑफ स्टंप के बाहर की गेंदों पर अपना पसंदीदा शॉट खेलते हुए आउट हुए। यह शॉट भारतीय और इंग्लिश पिचों पर कारगर हो सकता है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया की उछालभरी पिचों पर नहीं। किसी को विराट को यह बताने की जरूरत थी कि वह इस शॉट को न खेलें, बल्कि सीधे खेलें या गेंद को छोड़ दें।”

रोहित शर्मा की फॉर्म पर निशाना

रोहित शर्मा ने तीन टेस्ट मैचों में केवल 31 रन बनाए। पर्थ टेस्ट में उनकी गैरमौजूदगी और सिडनी टेस्ट से बाहर रहने के फैसले को लेकर भी सवाल उठे। योगराज ने कहा:”रोहित और विराट जैसे खिलाड़ियों को भी यह बताने की जरूरत होती है कि उनके खेल में क्या गलत हो रहा है। हर खिलाड़ी को ऐसे दौर का सामना करना पड़ता है, लेकिन किसी को उनकी मदद करनी चाहिए।”

हेड कोच और मैनेजमेंट पर सवाल

योगराज सिंह ने कोचिंग और मैनेजमेंट के बीच अंतर पर जोर देते हुए कहा कि भारतीय टीम को सही दिशा में मार्गदर्शन देने के लिए मैन मैनेजमेंट की आवश्यकता है।”जब आप भारत के लिए खेलते हैं, तो आपको पारंपरिक कोचिंग की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि मैन मैनेजमेंट की जरूरत होती है। खिलाड़ियों को मानसिक रूप से प्रेरित और स्थिर रखना कोच का काम है।”

गौतम गंभीर की कोचिंग पर राय

गौतम गंभीर की कोचिंग पर योगराज ने सकारात्मक लेकिन संतुलित प्रतिक्रिया दी:”गंभीर एक शानदार क्रिकेटर और रणनीतिकार हैं। लेकिन युवा खिलाड़ियों को एकजुट रखने और उनका मनोबल ऊंचा रखने के लिए सही प्रबंधन की जरूरत है। खिलाड़ियों को यह महसूस कराना चाहिए कि ये दौर सामान्य हैं और इसे पार करना संभव है।”