अघोरी, साधुओं का ऐसा रहस्यमयी समुदाय है जो सदियों से लोगों के बीच जिज्ञासा और रहस्य का केंद्र रहा है। उनकी साधना, जीवनशैली, और मान्यताएं आम लोगों से बिल्कुल अलग और अनोखी हैं। कहा जाता है कि अघोरी श्मशान में रहते हैं और अपनी साधना वहीं पूरी करते हैं। महाकुंभ जैसे आयोजनों में, नागा साधुओं के बाद अगर किसी की सबसे ज्यादा चर्चा होती है, तो वे अघोरी ही हैं।
अघोर पंथ: ईश्वर की साधना की रहस्यमयी शाखा
अघोर पंथ भगवान शिव की उपासना की एक गूढ़ और रहस्यमयी शाखा है। इस पंथ की परंपराएं और पूजा पद्धतियां अपरंपरागत और रहस्यपूर्ण होती हैं।
- भगवान शिव के उपासक:
- अघोरियों को भगवान शिव का उपासक माना जाता है।
- यह पंथ शिव द्वारा प्रतिपादित किया गया है और अघोर शास्त्र के गुरू शिव के अवतार भगवान दत्तात्रेय माने जाते हैं।
- बाबा कीनाराम, जो 1601 में जन्मे थे, अघोर संप्रदाय के महान संत माने जाते हैं और उनकी पूजा की जाती है।
श्मशान में साधना: जीवन और मृत्यु का संगम
अघोरी साधना के लिए आम पूजा स्थलों की बजाय श्मशान घाट को चुनते हैं। उनकी मान्यता है कि जीवन और मृत्यु दोनों श्मशान से जुड़े हुए हैं और यही से जीवन का वास्तविक ज्ञान प्राप्त होता है।
अघोर साधना के तीन प्रमुख तरीके:
- श्मशान साधना:
- श्मशान में रहकर साधना करना।
- इसमें परिवारजनों को भी शामिल किया जा सकता है।
- शिव साधना:
- भगवान शिव की उपासना करना।
- शव साधना:
- शव के ऊपर पैर रखकर साधना करना।
- इस साधना में मृत शरीर को प्रसाद के रूप में मांस और मदिरा अर्पित की जाती है।
अघोरियों का मानना है कि श्मशान साधना से उन्हें आत्मा और ईश्वर का गहरा ज्ञान प्राप्त होता है।
अघोरियों की विचित्र जीवनशैली और व्यवहार
अघोरी साधुओं का जीवन और व्यवहार आम लोगों से पूरी तरह अलग होता है।
- विशिष्ट आदतें:
- चिता की राख को शरीर पर मलते हैं।
- मानव खोपड़ी का उपयोग बर्तन के रूप में करते हैं।
- मानव चिताओं के अवशेष (मांस) का सेवन करते हैं।
- तंत्र विद्या का ज्ञान:
- अघोरी तंत्र विद्या के जानकार माने जाते हैं।
- यह विद्याएं समाज के भले के लिए सीखी जाती हैं।
- घृणा से मुक्ति:
- अघोरी बनने की पहली शर्त है अपने मन से घृणा को समाप्त करना।
- जिन चीजों से समाज घृणा करता है, जैसे शव, कफन, और श्मशान, अघोरी उन्हें अपनाते हैं।
अघोरियों का उद्देश्य और दर्शन
अघोर पंथ का मुख्य उद्देश्य आत्मा और परमात्मा का एकत्व है।
- ईश्वर के करीब होने की साधना:
- अघोरी मानते हैं कि उनकी साधना उन्हें ईश्वर के करीब लाती है।
- वे भौतिक सुखों से परे, आत्मा की शुद्धि पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- रूखा व्यवहार:
- अघोरी समाज से दूर रहकर साधना करते हैं और किसी से बात करना पसंद नहीं करते।
- उनका व्यवहार काफी रूखा हो सकता है, क्योंकि वे सांसारिक भावनाओं से मुक्त होते हैं।
महाकुंभ में अघोरियों की उपस्थिति
महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों में, अघोरी साधु अपनी साधना और रहस्यमयी जीवनशैली के कारण ध्यान का केंद्र बनते हैं।
- महाकुंभ में आने के बाद, वे कुछ समय के लिए समाज के करीब आते हैं।
- आयोजन समाप्त होने के बाद, वे फिर से श्मशान में लौट जाते हैं।