बिहार में पहली बार नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (Citizenship Amendment Act, 2019) के तहत नागरिकता का प्रमाण पत्र जारी किया गया है। यह ऐतिहासिक कदम बिहार सचिवालय में आयोजित राज्यस्तरीय अधिकार प्राप्त समिति की बैठक में लिया गया। सर्टिफिकेट भोजपुर जिले की 60 वर्षीय महिला सुमित्रा साहा को प्रदान किया गया, जो CAA के तहत बिहार की पहली नागरिक बनी हैं।
CAA के तहत नागरिकता प्राप्त करने की प्रक्रिया
सुमित्रा साहा ने नागरिकता प्राप्त करने के लिए आवेदन दिया था, जिसे जिला स्तर की समिति ने जांच के बाद राज्यस्तरीय समिति के पास भेजा। सुमित्रा का आवेदन कई बैठकों के बाद स्वीकृत किया गया, और उन्हें ईमेल और एसएमएस के माध्यम से नागरिकता प्रमाण पत्र जारी किया गया। सर्टिफिकेट में यह स्पष्ट रूप से लिखा है कि यह बिहार में CAA के तहत दिया गया पहला प्रमाण पत्र है।
सुमित्रा साहा: बांग्लादेश से भारत तक का सफर
सुमित्रा साहा, वर्तमान में भोजपुर जिले के आरा शहर के डीटी रोड पर रहती हैं। उन्होंने बताया कि उनका बचपन कटिहार जिले में बीता। हालांकि, 5 साल की उम्र में वे बांग्लादेश के राजशाही शहर चली गईं, जहां उनके चाचा-चाची रहते थे। सुमित्रा ने बताया, “परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण मुझे बांग्लादेश जाना पड़ा। मेरे चाचा नौकरी में थे, और मैं वहां पढ़ाई के लिए गई थी।”
19 जनवरी 1985 को सुमित्रा कटिहार वापस आईं और कुछ समय बाद उनकी शादी आरा के व्यापारी परमेश्वर प्रसाद से हो गई। शादी के बाद वे भारत में ही रहने लगीं, लेकिन वीजा रिन्यू कराने के लिए समय-समय पर कोलकाता जाती रहीं।
CAA के तहत नागरिकता की पहल
सुमित्रा ने 2024 में कोलकाता में वीजा रिन्यू कराने के दौरान CAA के बारे में जानकारी प्राप्त की। अधिकारियों ने उन्हें इस कानून का लाभ उठाने की सलाह दी और उनका वीजा तीन साल के लिए रिन्यू कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने नागरिकता के लिए आवेदन किया, जो अंततः स्वीकृत हुआ।
परिवार का संघर्ष और नागरिकता का महत्व
सुमित्रा के परिवार ने उनकी नागरिकता प्राप्ति के लिए काफी प्रयास किए। उनकी बेटी ऐश्वर्या ने बताया कि उनके पिता का 2020 में कैंसर के कारण निधन हो गया। इसके बाद ऐश्वर्या ने न केवल अपनी मां की देखभाल की, बल्कि पारिवारिक दुकान भी संभाली। उन्होंने कहा, “मैंने अक्टूबर 2024 से लगातार प्रयास किया ताकि मेरी मां को भारतीय नागरिकता मिल सके और वे सरकार की योजनाओं का लाभ उठा सकें।”
CAA के तहत नागरिकता: क्या है प्रक्रिया?
CAA के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम शरणार्थियों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, और ईसाई) को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाती है। इसके तहत शरणार्थियों को नागरिकता के लिए छह साल तक भारत में निवास करना आवश्यक है, जबकि सामान्य प्रक्रिया में यह समय सीमा 11 साल है।
CAA का बिहार में पहला केस
सुमित्रा साहा का यह मामला बिहार में CAA के तहत नागरिकता प्रदान करने का पहला उदाहरण है। यह प्रक्रिया अन्य शरणार्थियों के लिए एक मिसाल बन सकती है, जो लंबे समय से भारतीय नागरिकता का इंतजार कर रहे हैं।
CAA के लाभ और सुमित्रा की नई शुरुआत
सुमित्रा साहा अब एक भारतीय नागरिक बन चुकी हैं, और उन्हें सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिलने का रास्ता खुल गया है। ऐश्वर्या ने कहा, “यह मेरी मां के लिए एक नई शुरुआत है। अब वे न केवल एक सम्मानित नागरिक हैं, बल्कि सरकारी योजनाओं से भी लाभान्वित हो सकेंगी।”