भारत में ग्रामीण गरीबी तेजी से घट रही है। एसबीआई रिसर्च की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, यह पहली बार है जब ग्रामीण इलाकों में गरीबी का स्तर 5% से नीचे आ गया है। वित्त वर्ष 2023-24 में ग्रामीण गरीबी दर घटकर 4.86% पर पहुंच गई, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 7.2% और 2011-12 में 25.7% थी। वहीं, शहरी क्षेत्रों में गरीबी दर वित्त वर्ष 2023 में 4.6% से गिरकर वित्त वर्ष 2024 में 4.09% पर आ गई।
राष्ट्रीय स्तर पर गरीबी दर 4%-4.5% के बीच
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय गरीबी दर अब 4%-4.5% के बीच हो सकती है।
- अत्यधिक गरीबी (extreme poverty) अब भारत में बहुत कम हो गई है।
- 2021 की जनगणना के आंकड़े आने के बाद गरीबी के इन आंकड़ों में और सुधार संभव है, खासकर शहरी क्षेत्रों में।
गांवों और शहरों के बीच अंतर क्यों घटा?
एसबीआई की रिपोर्ट में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच आय और जीवन स्तर में अंतर घटने के कुछ मुख्य कारण बताए गए हैं:
- फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार:
- शहरों और गांवों के बीच बेहतर कनेक्टिविटी ने रोजगार और आय के अवसर बढ़ाए हैं।
- डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (DBT):
- सरकारी योजनाओं के तहत सीधे लाभ हस्तांतरण (DBT) ने ग्रामीण भारत में गरीबी कम करने में बड़ी भूमिका निभाई है।
- ग्रामीण बुनियादी ढांचे पर फोकस:
- सड़कों, बिजली, और अन्य सुविधाओं में सुधार से गांवों का जीवन स्तर तेजी से बढ़ा है।
खपत में अंतर भी घटा
गांवों और शहरों के बीच खपत (Monthly Per Capita Consumption Expenditure – MPCE) का अंतर तेजी से कम हुआ है।
- 2009-10: खपत का अंतर 88.2% था।
- 2022-23: यह घटकर 71.2% पर आ गया।
- 2024: खपत का अंतर और कम होकर 69.7% पर पहुंच गया।
खपत पर महंगाई का असर
महंगाई का असर ग्रामीण खपत पर भी पड़ा है, खासकर कम आय वाले राज्यों में।
- नवंबर 2024 में महंगाई दर: 5% थी।
- मिडिल-इनकम वाले राज्यों में खपत स्थिर रही, जबकि निम्न-आय वाले राज्यों में खपत प्रभावित हुई।
गांवों में सुधार के प्रमुख कारक
- किसानों की आय में बढ़ोतरी:
- सरकारी योजनाओं और सब्सिडी से ग्रामीण आय में वृद्धि हुई।
- जीवन स्तर में सुधार:
- बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा, और बुनियादी सुविधाओं ने गांवों के जीवन स्तर को ऊपर उठाया।
- रोजगार के नए अवसर:
- मनरेगा और अन्य ग्रामीण विकास योजनाओं ने रोजगार के अवसर बढ़ाए।