क्या होता है जब कोई देश अपना कर्ज नहीं चुकाता? जानिए इसके असर और कार्रवाई के बारे में

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दुनिया में जब कोई व्यक्ति कर्ज नहीं चुकाता है, तो बैंक या संबंधित संस्थान कानून का सहारा लेते हैं। लेकिन जब बात किसी देश की हो, तो स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। कई देश बड़े पैमाने पर कर्ज लेते हैं, लेकिन जब वे इसे चुकाने में असमर्थ होते हैं, तो उनके खिलाफ क्या कार्रवाई होती है? आइए जानते हैं कि ऐसा होने पर उस देश को किस तरह के परिणाम भुगतने पड़ते हैं।

कर्ज कैसे चुकाते हैं लोग?

अक्सर आपने देखा होगा कि लोग बैंक, ऐप्स, या निजी स्रोतों से कर्ज लेते हैं।

  • जब व्यक्ति कर्ज नहीं चुकाता, तो बैंक कानूनी कदम उठाती है।
  • कुछ मामलों में संपत्तियों की नीलामी और क्रेडिट स्कोर खराब करने जैसी कार्रवाई होती है।
  • लेकिन जब कोई देश कर्ज लेता है, तो स्थिति और अधिक जटिल हो जाती है।

दुनिया के सबसे कर्जदार देश

World of Statistics हर साल सबसे अधिक कर्जदार देशों की सूची जारी करता है। 2023 के आंकड़ों के अनुसार, ये देश कर्ज में डूबे हुए हैं:

  1. अमेरिका
    • कुल कर्ज: 33,229 बिलियन डॉलर
    • सबसे कर्जदार देश।
  2. चीन
    • कुल कर्ज: 14,590 बिलियन डॉलर
  3. जापान
    • कुल कर्ज: 10,797 बिलियन डॉलर
  4. यूके (ब्रिटेन)
    • कुल कर्ज: 3,469 बिलियन डॉलर
  5. फ्रांस
    • कुल कर्ज: 3,354 बिलियन डॉलर
  6. भारत
    • कुल कर्ज: 3,057 बिलियन डॉलर
    • सूची में सातवें स्थान पर।

कर्ज लेने के तरीके

देश अलग-अलग तरीकों से कर्ज लेते हैं:

  1. अंतरराष्ट्रीय बैंकों से कर्ज:
    • देशों को अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए यह एक सामान्य माध्यम है।
  2. अन्य देशों से कर्ज:
    • द्विपक्षीय व्यापारिक या राजनीतिक समझौतों के तहत।
  3. व्यापारिक कर्ज:
    • इन्फ्रास्ट्रक्चर या अन्य प्रोजेक्ट्स के लिए लिया जाता है।

कर्ज नहीं चुकाने पर क्या होता है?

यदि कोई देश अपना कर्ज नहीं चुकाता, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं:

1. व्यापार पर प्रतिबंध

  • अन्य देश उस देश के साथ व्यापार बंद कर देते हैं।
  • कर्ज न चुका पाने वाले देश की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती है।

2. ब्लैकलिस्टिंग

  • यदि कर्ज इंटरनेशनल बैंक या वित्तीय संस्थान से लिया गया है और चुकाया नहीं गया, तो उस देश को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है।
  • ब्लैकलिस्ट होने के बाद देश को अंतरराष्ट्रीय बाजार में फंड प्राप्त करने में कठिनाई होती है।

3. वैश्विक प्रतिष्ठा पर असर

  • कर्ज न चुकाने से देश की साख पर असर पड़ता है।
  • निवेशक उस देश में निवेश करने से बचते हैं।

4. अर्थव्यवस्था पर सीधा असर

  • आयात-निर्यात बंद होने से देश की आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है।
  • इससे बेरोजगारी और महंगाई में इजाफा होता है।

ऐसे हालात में क्या करते हैं देश?

जब कोई देश कर्ज चुकाने में असमर्थ होता है, तो उसे कर्ज माफी (Debt Restructuring) या ऋण पुनर्गठन का सहारा लेना पड़ता है। इसमें:

  1. ऋण चुकाने की अवधि बढ़ाई जाती है।
  2. कम ब्याज दरों पर नया कर्ज दिया जाता है।
  3. कुछ हिस्सा माफ कर दिया जाता है।

भारत की स्थिति

भारत पर 3,057 बिलियन डॉलर का कर्ज है, लेकिन यह कर्ज चुकाने की स्थिति में है। भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर है और देश की विकास दर इसे कर्ज चुकाने में मदद करती है।