चीन ने नए साल पर ताइवान के एकीकरण की दी धमकी, शी जिनपिंग का बयान

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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नए साल की शुरुआत में ताइवान के पुनः एकीकरण को लेकर एक दृढ़ संदेश दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि इसे कभी भी रोका नहीं जा सकता। उन्होंने यह बयान अर्थव्यवस्था में मंदी के बीच और अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप की संभावित वापसी के संदर्भ में दिया।

चीन और ताइवान के बीच राजनीतिक मतभेद स्पष्ट हैं; जहां चीन एक वामपंथी देश है, वहीं ताइवान एक लोकतांत्रिक सरकार के तहत कार्य करता है। हाल के दिनों में, चीन ने ताइवान पर दबाव बढ़ाया है, जिसमें ताइवान के पास उसके विमान और जहाजों की गतिविधियाँ शामिल हैं। इसके साथ ही, बीजिंग ने ताइपे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की कोशिश की है।

ट्रंप, अपने दूसरे कार्यकाल में, चीन के खिलाफ दंडात्मक आयात शुल्क और व्यापार उपाय लागू करने की धमकी दे चुके हैं। शी जिनपिंग ने सरकारी टीवी चैनल पर अपने नए साल के संबोधन में कहा, “ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों किनारों पर रहने वाले हम सभी चीनी एक ही परिवार के हैं। कोई भी हमारे बीच नातेदारी के बंधन को कभी खत्म नहीं कर सकता।”

चीन, ताइवान को अपने मुख्य भूमि का हिस्सा मानता है और ‘एक चीन’ नीति के तहत इसे मान्यता देने का प्रयास करता है। शी जिनपिंग ने अपने तीसरे पंचवर्षीय कार्यकाल के दौरान ताइवान के साथ एकीकरण को एक प्रमुख सैन्य और राजनैतिक उद्देश्य बना लिया है।

विदेश नीति के संदर्भ में, शी ने वैश्विक शासन सुधार को बढ़ावा देने और विश्व शांति और स्थिरता को बनाए रखने में चीन की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा, “परिवर्तन और अशांति के इस दौर में, चीन एक जिम्मेदार प्रमुख देश के रूप में वैश्विक शासन सुधार को आगे बढ़ाने और ‘ग्लोबल साउथ’ के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए सक्रिय है।”

शी जिनपिंग का नया साल का संदेश चीनी जनता को अर्थव्यवस्था के बारे में आश्वस्त करने का भी प्रयास था, जो कोविड-19 के बाद काफी धीमी हो गई है। उन्होंने कहा कि 2024 में चीन की अर्थव्यवस्था का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 130 ट्रिलियन युआन (लगभग 18.08 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) को पार करने की उम्मीद है, और अनाज उत्पादन भी 70 करोड़ टन से अधिक हो गया है।

हालांकि, चीन ई-वाहनों के निर्यात में चुनौतियों का सामना कर रहा है, क्योंकि अमेरिका और यूरोपीय संघ ने उस पर भारी शुल्क लगा दिए हैं। शी जिनपिंग के लिए सबसे बड़ी चुनौती ट्रंप की वापसी से उत्पन्न हो रही है, जो 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद संभालने जा रहे हैं। ट्रंप ने पहले ही चीनी आयात पर बड़े आयात शुल्क लगाने की धमकी दी थी, और उनके पहले कार्यकाल के दौरान चीन के साथ व्यापार युद्ध शुरू हुआ था।

ट्रंप की नीतियों ने चीन के लिए संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है, और उन्होंने कोविड-19 महामारी के लिए भी चीन को जिम्मेदार ठहराया था। ऐसे में, चीन के लिए अपनी आर्थिक और राजनीतिक स्थिति को मजबूत करना महत्वपूर्ण हो गया है।