भारत एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय शतरंज जगत में महाशक्ति बनकर उभरा। यह वर्ष भारतीय शतरंज जगत के लिए स्वर्णिम वर्ष साबित हो रहा था। भारतीय ग्रैंडमास्टर डोमाराजू गुकेश ने महज 18 साल की उम्र में विश्व चैंपियन बनकर अंतरराष्ट्रीय शतरंज जगत में एक नया कीर्तिमान बनाया। दुनिया के सबसे युवा विश्व चैंपियन बनने के साथ ही गुकेश भारत के पूर्व पांच बार के विश्व चैंपियन ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद के साथ शामिल हो गए। शतरंज की दुनिया में भारत की जीत हंगरी के बुडापेस्ट में आयोजित 45वें शतरंज ओलंपियाड से हुई। जिसमें ओपन डिवीजन में भारतीय पुरुष टीम ने स्वर्ण पदक और महिला टीम ने स्वर्ण पदक जीता। भारत ने सदियों पुराने शतरंज ओलंपियाड में पहली बार स्वर्ण पदक जीता और वह भी दो डिवीजनों में, भारतीय खेलों के इतिहास में एक गौरवपूर्ण उपलब्धि। भारत की सफलता में डी. गुकेश के साथ आर. प्रज्ञानंद, विदित गुजराती, पृ. हरिकृष्णा और अर्जुन एरिगैसी के साथ महिला खिलाड़ी डी. हरिका, आर. वैशाली, तानिया सचदेव, वंतिका अग्रवाल और दिव्या देशमुख का लुक देखते ही बन रहा था।