दिल्ली विधानसभा चुनाव: हेल्थ और फिटनेस प्रोफेशनल्स को लुभाने की AAP की नई रणनीति

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दिल्ली विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, और राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी (AAP) अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए हर वर्ग के मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। इस बार पार्टी ने हेल्थ और फिटनेस प्रोफेशनल्स को लुभाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। गुरुवार को AAP कार्यालय में पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल की उपस्थिति में पहलवानों, बॉडीबिल्डरों और फिटनेस इंफ्लुएंसर्स ने पार्टी का दामन थामा।

फिटनेस समुदाय का AAP में स्वागत

गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम में फिटनेस इंफ्लुएंसर तिलकराज, रोहित दलाल और अक्षय दिलावरी ने AAP की सदस्यता ली। अरविंद केजरीवाल ने उन्हें पार्टी का प्रतीक स्कार्फ और टोपी पहनाकर पार्टी में शामिल किया।

केजरीवाल ने कहा, “करीब 70-80 बॉडीबिल्डर और पहलवान आज पार्टी में शामिल हुए हैं। यह कदम संगठन को न केवल मजबूत करेगा बल्कि इसे हेल्थ और फिटनेस के मुद्दों से और करीब से जोड़ देगा।”

खिलाड़ियों और जिम मालिकों के साथ पार्टी का नया गठजोड़

केजरीवाल ने यह वादा किया कि यदि AAP सत्ता में वापसी करती है, तो वह खिलाड़ियों की समस्याओं का समाधान करेगी। उन्होंने बताया कि कई और जिम मालिक और फिटनेस प्रोफेशनल्स AAP से जुड़ने की योजना बना रहे हैं।

AAP के इस कदम को दिल्ली के फिटनेस समुदाय का समर्थन भी मिल रहा है। निवर्तमान विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने कहा कि जिन लोगों ने पार्टी में शामिल होने का निर्णय लिया, उनका दिल्ली के जिम और फिटनेस क्षेत्र में प्रभावशाली योगदान है। ये लोग पार्टी के मिशन को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे।

खेल बिरादरी की बढ़ती भागीदारी

इस अवसर पर रोहित दलाल ने कहा, “AAP ने खिलाड़ियों और जिम के लिए सराहनीय काम किया है। मैं इस मिशन में योगदान देना चाहता हूं।” वहीं, तिलकराज ने खेल समुदाय के राजनीतिक सहभागिता में वृद्धि पर खुशी जताई और कहा, “दिल्ली के कई खिलाड़ी हमारी टीम में शामिल होने की योजना बना रहे हैं। हम पार्टी को मजबूत बनाने के लिए पूरी मेहनत करेंगे।”

AAP की नजर लगातार तीसरी जीत पर

आम आदमी पार्टी तीसरी बार सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 70 में से 62 सीटें जीती थीं। दिल्ली में भाजपा से सीधा मुकाबला है, जिसने पिछली बार 8 सीटें जीती थीं।

कांग्रेस की गिरती साख

दिल्ली की राजनीति में कभी मजबूत पकड़ रखने वाली कांग्रेस, जो शीला दीक्षित के नेतृत्व में 15 वर्षों तक सत्ता में रही, लगातार दो चुनावों में एक भी सीट जीतने में असफल रही है। इस बार भी कांग्रेस का प्रदर्शन चुनौतीपूर्ण लग रहा है।