तमिलनाडु: भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई का बड़ा ऐलान, डीएमके सत्ता से बाहर होने तक नहीं पहनेंगे जूते

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तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन और उनकी पार्टी डीएमके को सत्ता से बाहर करने तक जूते-चप्पल नहीं पहनने का संकल्प लिया है। कोयंबटूर में गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने यह घोषणा करते हुए अपने जूते उतारकर हाथों में ले लिए।

यौन उत्पीड़न मामले में सरकार पर निशाना

अन्नामलाई ने अन्ना यूनिवर्सिटी की छात्रा के कथित यौन उत्पीड़न के मामले में राज्य सरकार पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा, “कल मैं अपने घर के सामने विरोध-प्रदर्शन करूंगा और खुद को 6 बार कोड़े मारूंगा। इसके बाद मैं 48 दिनों तक उपवास करूंगा और भगवान मुरुगन से प्रार्थना करूंगा।”

भाजपा नेता ने कहा कि हर पार्टी कार्यकर्ता के घर के सामने प्रदर्शन किया जाएगा और यह आंदोलन तब तक चलेगा जब तक डीएमके सत्ता से बाहर नहीं हो जाती। उन्होंने कहा, “यह अन्याय अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

एआईएडीएमके का प्रदर्शन और पुलिस की कार्रवाई

दूसरी ओर, मुख्य विपक्षी पार्टी एआईएडीएमके ने भी अन्ना यूनिवर्सिटी की छात्रा के यौन उत्पीड़न मामले में चेन्नई में प्रदर्शन करने की कोशिश की। पार्टी ने डीएमके सरकार की कड़ी निंदा करते हुए इस मुद्दे को लेकर सड़कों पर उतरने का प्रयास किया।

हालांकि, प्रदर्शन के दौरान एआईएडीएमके के वरिष्ठ नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। पार्टी नेता डी. जयकुमार ने पुलिस पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए सवाल किया कि डीएमके के सहयोगी दलों, जैसे कांग्रेस और विदुथलाई चिरुथैगल काची (वीसीके), को प्रदर्शन करने की अनुमति क्यों दी गई।

भाजपा नेता तमिलिसाई सुंदरराजन ने भी सरकार पर साधा निशाना

भाजपा की वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने भी सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यौन अपराधों की बढ़ती घटनाएं चिंताजनक हैं और पुलिस की निष्क्रियता को उजागर किया। सुंदरराजन ने कहा, “हमारे प्रदर्शन करने के अधिकार का हनन हो रहा है।”

डीएमके सरकार पर बढ़ रहा दबाव

यौन उत्पीड़न मामले को लेकर भाजपा और एआईएडीएमके ने डीएमके सरकार पर चौतरफा दबाव बनाया है। अन्नामलाई के विरोध प्रदर्शन और एआईएडीएमके की सक्रियता से यह मामला तमिलनाडु की राजनीति में गर्मा गया है। डीएमके को अब इस मुद्दे पर विपक्षी दलों की तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य की राजनीति में यह विरोध प्रदर्शन कितना असर डालता है और डीएमके सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है।