भारतीय नौसेना: समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम

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भारतीय नौसेना अगले महीने अपने बेड़े में दो स्वदेशी युद्धपोत और एक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी (सबमरीन) को शामिल करने के लिए तैयार है। इसके साथ ही, रूस में निर्मित फ्रिगेट आईएनएस तुशील भी जल्द ही भारत पहुंचने वाला है। यह कदम समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने और हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

आधुनिक युद्धपोत और पनडुब्बी: नौसेना का नया आयाम

आईएनएस सूरत: सबसे बड़ा गाइडेड-मिसाइल विध्वंसक

  • वजन: 7,400 टन
  • विशेषताएं:
    • भारत का पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सक्षम युद्धपोत।
    • 72% स्वदेशी सामग्री से निर्मित।
    • 4,000 समुद्री मील की यात्रा करने में सक्षम।
    • सुसज्जित हथियार:
      • ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल।
      • बाराक-8 मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल।
      • 76 मिमी सुपर रैपिड गन।
      • पनडुब्बी रोधी हथियार।
  • निर्माण: परियोजना-15बी के तहत निर्मित।
  • इससे पहले इसी परियोजना के तहत आईएनएस विशाखापट्टनम, आईएनएस मर्मुगाओ, और आईएनएस इम्फाल को शामिल किया गया था।

आईएनएस नीलगिरी: स्टेल्थ फ्रिगेट का अगुआ

  • वजन: 6,670 टन
  • परियोजना: परियोजना-17ए का हिस्सा।
  • निर्माण:
    • सात बहुउद्देशीय फ्रिगेट्स की श्रृंखला का पहला युद्धपोत।
    • चार एमडीएल और तीन कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा निर्मित।
  • लागत: ₹45,000 करोड़।
  • उद्देश्य: अत्याधुनिक सेंसर और हथियारों से लैस।
  • सभी फ्रिगेट्स 2026 के अंत तक नौसेना को सौंपे जाएंगे।

पनडुब्बी वाग्शीर: परियोजना-75 का अंतिम गहना

  • श्रेणी: स्कॉर्पीन श्रेणी की छठी और अंतिम पनडुब्बी।
  • निर्माण: मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) द्वारा ₹23,000 करोड़ की लागत से निर्मित।
  • उन्नति:
    • भारत और फ्रांस अब तीन और स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के निर्माण के लिए अंतिम बातचीत कर रहे हैं।

भारतीय नौसेना का विस्तार और भविष्य की रणनीति

मौजूदा स्थिति:

  • भारतीय नौसेना के पास वर्तमान में:
    • 130+ युद्धपोत।
    • 251 विमान और हेलिकॉप्टर।
  • निर्माणाधीन:
    • 60 युद्धपोत और जहाज भारतीय शिपयार्ड में बन रहे हैं।

चुनौतियां और संभावनाएं:

  • 2030 तक: भारतीय नौसेना का बेड़ा 155-160 युद्धपोतों तक सीमित रहने का अनुमान।
  • प्रतिद्वंद्वी:
    • चीन के पास वर्तमान में 370 से अधिक जहाज और पनडुब्बियां, जिनमें 140 प्रमुख युद्धपोत शामिल हैं।
    • चीन ने हाल के वर्षों में नौसेना के तेजी से विस्तार पर जोर दिया है।

नौसेना के नए कदम का महत्व

  • हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए यह कदम निर्णायक है।
  • अत्याधुनिक तकनीक और हथियारों से लैस ये युद्धपोत और पनडुब्बियां भारत की स्ट्रेटेजिक समुद्री क्षमता को बढ़ाएंगी।
  • आईएनएस सूरत और आईएनएस नीलगिरी जैसे जहाज देश की आत्मनिर्भरता को भी रेखांकित करते हैं।

समुद्री सुरक्षा में भविष्य का दृष्टिकोण

भारतीय नौसेना का यह विस्तार हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

  • अत्याधुनिक युद्धपोत और पनडुब्बियां भारतीय नौसेना को भविष्य के खतरों का सामना करने के लिए तैयार करेंगी।
  • यह पहल ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को भी मजबूती प्रदान करती है।