कैराना से समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन चौधरी ने स्वीकार किया है कि उनका और भाजपा नेता मृगांका सिंह का गोत्र एक ही है। उन्होंने इसे अपने इतिहास का हिस्सा बताते हुए इस पर गर्व व्यक्त किया।
भाजपा नेता मृगांका सिंह के पिता हुकुम सिंह हिंदू गुर्जर समुदाय से थे, जबकि इकरा हसन के पिता मुन्नवर हसन मुस्लिम गुर्जर समुदाय से ताल्लुक रखते थे। दोनों परिवार गुर्जरों की कलस्यान खाप से जुड़े हुए हैं। ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार, इस गोत्र का एक हिस्सा कई पीढ़ियों पहले इस्लाम स्वीकार कर मुस्लिम बन गया था।
‘गोत्र साझा करना हमारे गौरव का हिस्सा’
पॉडकास्ट में शालिनी कपूर तिवारी द्वारा पूछे गए सवाल पर, जिसमें हुकुम सिंह के परिवार और इकरा हसन के परिवार के एक ही गोत्र से जुड़े होने की बात की गई थी, सांसद ने कहा:
- “यह माना जाता है कि हमारा गोत्र एक है और हम एक ही जगह से आए हैं। गुर्जरों में जाति के साथ-साथ गोत्र का भी महत्व होता है। हमारे गोत्र साझा हैं, और यह मुझे गर्व महसूस कराता है।”
- “हमारे पूर्वज अब जीवित नहीं हैं, जो इस बात को विस्तार से समझा सकें, लेकिन यह एक सर्वमान्य धारणा है कि दोनों परिवारों का इतिहास एक ही है।”
राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के बावजूद आपसी सम्मान
इकरा हसन ने हुकुम सिंह के परिवार के साथ अपने रिश्तों पर भी चर्चा की।
- उन्होंने कहा, “हमारे परिवारों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता जरूर रही है, लेकिन यह हमेशा गरिमा और सम्मान से भरी रही।”
- “2017 में, जब मैं अपने भाई के लिए प्रचार कर रही थी, तब रास्ते में मृगांका सिंह की बेटी से मुलाकात होती थी। हम दोनों हमेशा एक-दूसरे का गर्मजोशी से अभिवादन करते थे।”
- “हमने कभी एक-दूसरे पर बेवजह की टिप्पणियां नहीं कीं। यह हमारे परिवारों के बीच आपसी सम्मान का प्रमाण है।”
महिलाओं की राजनीति में बढ़ती भूमिका पर जोर
कैराना में मुस्लिम बहुल जनसंख्या (30 प्रतिशत) के बावजूद समाजवादी पार्टी द्वारा 2013 के दंगों के बाद उन्हें मैदान में उतारने को उन्होंने साहसिक कदम बताया।
- इकरा ने कहा, “महिलाओं का राजनीति में आना बेहद जरूरी है। महिलाएं समावेशी दृष्टिकोण रखती हैं। वे कड़ा रवैया अपना सकती हैं, लेकिन पुरुषों जितनी कठोर नहीं होतीं।”
- “जितनी अधिक महिलाएं राजनीति में आएंगी, उतना ही समाज और देश के लिए बेहतर होगा।”
इकरा का बयान और राजनीतिक संदेश
इकरा हसन का यह बयान न केवल राजनीतिक विरोधियों के साथ रिश्तों में शिष्टाचार का उदाहरण प्रस्तुत करता है, बल्कि यह बताता है कि कैसे साझा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरें भी पारिवारिक और सामाजिक संबंधों को मजबूत कर सकती हैं।
उनका जोर महिलाओं की भागीदारी पर भी रहा, जो उनकी समावेशी राजनीति की सोच को दर्शाता है।