कॉटन की कीमतों में गिरावट: जानिए कारण, आंकड़े, और विशेषज्ञों की राय

Cotton

कॉटन की कीमतों में पिछले कुछ हफ्तों से लगातार गिरावट देखी जा रही है। यह गिरावट केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक बाजारों में भी इसका असर दिख रहा है। अमेरिका में कॉटन के दाम 69.50 डॉलर प्रति पाउंड से नीचे गिर गए हैं। इस लेख में हम कॉटन के गिरते दामों के पीछे के कारण, वैश्विक उत्पादन और खपत के आंकड़े, और विशेषज्ञों की राय पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

पिछले कुछ हफ्तों में कॉटन की कीमतों का ट्रेंड

  • अमेरिकी बाजार में गिरावट:
    नवंबर 2024 में कॉटन के दाम 73 डॉलर प्रति पाउंड के पार थे, लेकिन अब यह 69.50 डॉलर प्रति पाउंड तक गिर चुके हैं।
  • एक महीने का बदलाव:
    एक महीने में 3% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है।
  • 2024 की शुरुआत से:
    इस साल की शुरुआत से अब तक करीब 15% की गिरावट हो चुकी है।
  • लॉन्ग-टर्म गिरावट:
    पिछले एक साल में कीमतों में 14% की कमी देखी गई है।

ग्लोबल कॉटन प्रोडक्शन और खपत का आंकलन

उत्पादन के आंकड़े

दुनिया में कपास का उत्पादन बढ़ा हुआ है, जिससे कीमतों में दबाव देखा जा रहा है।

  • ग्लोबल प्रोडक्शन:
    2024 में 117.4 मिलियन गांठ कॉटन का उत्पादन अनुमानित है।
  • नवंबर में वृद्धि:
    नवंबर में 1.2 मिलियन गांठ की बढ़त हुई।
  • भारत और अर्जेंटीना:
    भारत में 1 मिलियन गांठ की बढ़त हुई, जबकि अर्जेंटीना में भी उत्पादन अधिक रहा।

खपत का आंकड़ा

  • वर्ल्ड कंजम्प्शन:
    खपत में 5,70,000 बेल्स की वृद्धि हुई।
  • अधिक मांग वाले देश:
    वियतनाम, पाकिस्तान और भारत में कपास की मांग अधिक रही।

भारत में कपास बाजार की स्थिति

भारत में कीमतें और सरकारी खरीद

  • भारतीय बाजार में गिरावट:
    भारत में कॉटन की कीमतें 62,000 रुपये से गिरकर 54,000 रुपये तक आ गई हैं।
  • CCI की भूमिका:
    भारतीय कॉटन कॉरपोरेशन (CCI) ने 70% कपास MSP पर खरीदी है, जिससे बाजार में थोड़ी स्थिरता आई है।

जिनर्स और ट्रेडर्स की स्थिति

  • जिनर्स और ट्रेडर्स के पास काम कम है, जबकि स्पिनर्स ने मुनाफा कमाया है।

ग्लोबल ई-टेक्सटाइल मार्केट का बढ़ता दबदबा

टेक्सटाइल उद्योग भी कॉटन की कीमतों में बदलाव से प्रभावित हो रहा है।

  • बाजार का विकास:
    2030 तक ग्लोबल ई-टेक्सटाइल मार्केट का कारोबार 6.8 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
  • 2024 में स्थिति:
    2024 में यह कारोबार 2.5 बिलियन डॉलर से अधिक रहा।
  • तेजी का आंकड़ा:
    2019 से अब तक 19% की वार्षिक वृद्धि देखी गई है।

कॉटन की ऐतिहासिक कीमतें

  • मार्च 2011 का रिकॉर्ड:
    कॉटन की कीमतें मार्च 2011 में $227 प्रति पाउंड के रिकॉर्ड स्तर पर थीं।
  • वर्तमान कीमत:
    अब यह $69.50 प्रति पाउंड के स्तर पर हैं।

विशेषज्ञों की राय

स्पिनर्स एसोसिएशन का बयान

स्पिनर्स एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट रिपल पटेल का कहना है कि पिछले दो साल में हुए नुकसान की भरपाई का समय आ गया है।

अतुल गनात्रा (CAI अध्यक्ष)

  • वैश्विक गिरावट:
    अमेरिका में कॉटन के दाम 30-35% गिर चुके हैं।
  • भारतीय बाजार का विश्लेषण:
    उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार में भी गिरावट जारी है। हालांकि, CCI की MSP खरीद ने कीमतों को थोड़ा स्थिर किया है।
  • भविष्यवाणी:
    2025 में भी दामों में तेजी की संभावना कम है क्योंकि वैश्विक बाजार में पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है।

भारत बनाम ब्राजील: कॉटन उत्पादन का फर्क

  • भारतीय उत्पादन:
    भारत में औसतन 450-475 किलोग्राम/हेक्टेयर उत्पादन होता है।
  • ब्राजील का उच्च उत्पादन:
    ब्राजील में यह आंकड़ा 1800-1900 किलोग्राम/हेक्टेयर तक है।

कॉटन की कीमतों पर दबाव के मुख्य कारण

  1. उच्च वैश्विक उत्पादन:
    2024 में उत्पादन अधिक रहा, जिससे कीमतों में दबाव बना।
  2. गिरती मांग:
    खपत में मामूली वृद्धि के बावजूद, उत्पादन के मुकाबले मांग कम रही।
  3. अमेरिका का बंपर उत्पादन:
    दिसंबर में अमेरिका में 14.3 मिलियन गांठ कपास का उत्पादन हुआ।

भविष्य का परिदृश्य

  • कॉटन की कीमतें:
    विशेषज्ञों का मानना है कि निकट भविष्य में कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है।
  • वैश्विक स्टॉक:
    पर्याप्त स्टॉक के कारण कीमतें और गिर सकती हैं।