नई दिल्ली: 19 दिसंबर को संसद परिसर में एनडीए और विपक्षी सांसदों के बीच हुई मारपीट पर केंद्रीय औद्योगिक बल (सीआईएसएफ) ने बड़ा बयान जारी किया है.
डीजी श्रीकांत किशोर ने दावा किया है कि सांसदों के बीच हुई घटना के दौरान उनकी ओर से कोई लापरवाही नहीं हुई. 13 दिसंबर, 2001 को संसद पर हमले के बाद हथियार ले जाने की अनुमति नहीं है।
उन्होंने सांसदों के आरोप-प्रत्यारोप को लेकर कहा है कि जब माननीय सदस्य आरोप लगाते हैं तो सुरक्षा बल चुप रहना पसंद करते हैं. बता दें कि संसद परिसर की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआईएसएफ के पास है.
सीआईएसएफ के डीजी श्रीकांत किशोर ने पत्रकारों को बताया कि सीआईएसएफ की ओर से कोई गलती नहीं हुई है. किसी भी हथियार की अनुमति नहीं है. किशोर ने कहा कि संसद भवन के मकर द्वार के पास हुई घटना के मामले की जांच सीआईएसएफ नहीं कर रही है. इस घटना में बीजेपी के दो सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.
दिल्ली पुलिस ने बीजेपी की शिकायत के आधार पर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.
बता दें कि पिछले गुरुवार को राहुल गांधी और इंडी ब्लॉक के अन्य सांसदों ने संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया था. जिसमें डाॅ. भीमराव राव अंबेडकर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी पर उनसे माफी और इस्तीफे की मांग की गई.
इस बीच उनकी एनडीए सांसदों से झड़प हो गई. सांसदों के बीच हुई मारपीट में बीजेपी के दो सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत के सिर में चोट लग गई. जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
बीजेपी सांसदों का आरोप है कि राहुल गांधी ने धक्का दिया. बीजेपी की एक महिला सांसद ने भी राहुल गांधी पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया.