भारतीय सिनेमा के मशहूर निर्देशक श्याम बेनेगल का सोमवार, 23 दिसंबर 2024 को मुंबई में निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। बेनेगल को उनकी अद्भुत सिनेमाई दृष्टि और बेहतरीन कहानियों के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उन्हें भारतीय फिल्म उद्योग में उनके योगदान के लिए 18 नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
श्याम बेनेगल को श्रद्धांजलि
फिल्म निर्माता शेखर कपूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर श्याम बेनेगल को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी तस्वीर साझा की। उन्होंने लिखा:
“उन्होंने ‘न्यू वेव’ सिनेमा को जन्म दिया। श्याम बेनेगल को हमेशा उस व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा, जिसने ‘अंकुर,’ ‘मंथन,’ और अनगिनत अन्य फिल्मों के साथ भारतीय सिनेमा की दिशा बदल दी। उन्होंने शबाना आजमी और स्मिता पाटिल जैसी महान अभिनेत्रियों को स्टार बनाया। अलविदा मेरे दोस्त और मार्गदर्शक।”
अभी मनाया था 90वां जन्मदिन
श्याम बेनेगल ने इस महीने की शुरुआत में अपना 90वां जन्मदिन मनाया था। इस दौरान उन्होंने खुलासा किया था कि वह 2-3 नए प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे थे।
- पीटीआई से बातचीत में उन्होंने कहा:
“हम सभी बूढ़े हो जाते हैं। मैं अपने जन्मदिन पर कोई बड़ा काम नहीं करता। यह एक विशेष दिन हो सकता है, लेकिन मैं इसे विशेष रूप से नहीं मनाता। मैंने अपनी टीम के साथ ऑफिस में केक काटा।” - आगामी प्रोजेक्ट्स:
उन्होंने कहा, “मैं दो से तीन प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा हूं। वे सभी एक-दूसरे से अलग हैं। यह कहना मुश्किल है कि मैं कौन सा प्रोजेक्ट पहले पूरा करूंगा, लेकिन ये सभी बड़े पर्दे के लिए हैं।”
पांच दशकों का शानदार करियर
श्याम बेनेगल का करियर पांच दशकों से अधिक लंबा रहा, जिसमें उन्होंने भारतीय सिनेमा को कई कालजयी फिल्में दीं। उन्होंने 1974 में फिल्म “अंकुर” से अपना निर्देशन डेब्यू किया। उनकी शुरुआती फिल्मों ने न केवल उन्हें पहचान दिलाई, बल्कि भारतीय सिनेमा में एक नई लहर को भी जन्म दिया।
- प्रमुख फिल्में:
- “निशांत” (1975)
- “मंथन” (1976)
- “भूमिका” (1977)
- “मंडी” (1983)
- “त्रिकाल” (1985)
- “सरदारी बेगम” (1996)
इन फिल्मों ने उनकी निर्देशन क्षमता को साबित किया और उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा दिलाई।
- आखिरी फिल्म:
उनकी आखिरी रिलीज फिल्म “मुजीब: द मेकिंग ऑफ ए नेशन” थी, जो 2023 में रिलीज हुई।
भारतीय सिनेमा में नई लहर के प्रणेता
श्याम बेनेगल को भारतीय “न्यू वेव सिनेमा” के अग्रदूत के रूप में जाना जाता है। उनकी फिल्मों ने न केवल सामाजिक मुद्दों को पर्दे पर उतारा, बल्कि कई नई प्रतिभाओं को भी मौका दिया।
- महान अभिनेत्रियों का योगदान:
- उन्होंने शबाना आजमी और स्मिता पाटिल जैसी अद्वितीय अभिनेत्रियों को सिनेमा की मुख्यधारा में स्थापित किया।
- समीक्षकों द्वारा सराही गई फिल्में:
उनकी फिल्मों में यथार्थवाद और गहराई का बेजोड़ तालमेल था, जिसने भारतीय सिनेमा को एक नई दिशा दी।