छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए 25 लाख रुपये के इनामी खूंखार नक्सली नेता प्रभाकर राव को गिरफ्तार कर लिया। प्रभाकर पर छत्तीसगढ़ सहित ओडिशा, बिहार, झारखंड, और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में दर्जनों आपराधिक मामले दर्ज हैं। वह माओवादी संगठन के शीर्ष नेताओं का करीबी सहयोगी और संगठन के रसद आपूर्ति का प्रमुख था।
अंतागढ़ में सुरक्षाबलों ने दबोचा
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में रविवार को अंतागढ़ थाना क्षेत्र के पास प्रभाकर को गिरफ्तार किया गया। बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी. ने बताया कि वह प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZC) का सदस्य था।
आईजी ने इसे वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा:
“57 वर्षीय प्रभाकर पिछले 40 वर्षों से संगठन के लिए काम कर रहा था। उसकी गिरफ्तारी नक्सल गतिविधियों पर नियंत्रण पाने में अहम भूमिका निभाएगी।”
प्रभाकर का नक्सली सफर
1984 में नक्सली रैंक में शामिल होने वाला प्रभाकर अपने शुरुआती दिनों में संगठन का एक सदस्य था। बाद में उसने लॉजिस्टिक सप्लाई और मोबाइल पॉलिटिकल स्कूल (एमओपीओएस) टीम की जिम्मेदारी संभाली।
- प्रभाकर का प्रभाव क्षेत्र:
- अविभाजित आंध्र प्रदेश
- मध्य प्रदेश के बालाघाट जिला
- छत्तीसगढ़ के उत्तरी बस्तर, कोयलीबेड़ा, और मानपुर-मोहला क्षेत्र
- महत्वपूर्ण कनेक्शन:
- प्रभाकर केंद्रीय समिति सदस्य गणपति का चचेरा भाई है।
- उसने बसव राजू, देवजी उर्फ कुमा दादा, और कोसा जैसे शीर्ष माओवादी नेताओं के साथ काम किया।
- उसकी पत्नी राजे कांगे, रावघाट एरिया कमेटी की प्रभारी है।
सुरक्षाबलों को कैसे मिली सफलता?
कांकेर पुलिस को कुछ दिनों से प्रभाकर राव की गतिविधियों की जानकारी मिल रही थी। इसके आधार पर रविवार को सुरक्षाबलों ने अंतागढ़ थाना क्षेत्र में घेराबंदी की और प्रभाकर को गिरफ्तार कर लिया।
कई राज्यों में दर्ज हैं मामले
प्रभाकर राव के खिलाफ छत्तीसगढ़ समेत ओडिशा, बिहार, झारखंड, और पश्चिम बंगाल में कई गंभीर मामले दर्ज हैं।
- वह दंडकारण्य जोनल कमेटी में रसद आपूर्ति का प्रभारी था।
- उसने कांकेर शहरी नेटवर्क और सप्लाई टीम में काम किया।
- बस्तर क्षेत्र में वह लंबे समय तक नक्सली गतिविधियों का संचालन करता रहा।
अधिकारी का बयान
आईजी सुंदरराज पी. ने कहा,
“प्रभाकर राव की गिरफ्तारी वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई में मील का पत्थर साबित होगी। इससे माओवादी संगठनों के रसद आपूर्ति और नेटवर्क को बड़ा झटका लगेगा।”