हाल के वर्षों में बांग्लादेश के राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। भारत के साथ करीबी संबंधों के लिए पहचाने जाने वाला बांग्लादेश अब पाकिस्तान के प्रति हमदर्दी दिखा रहा है। दुबई के रास्ते पाकिस्तान के साथ कारोबार में तेजी आई है, जबकि भारत से आयात को लेकर रुख सख्त होता जा रहा है।
पाकिस्तान से चटगांव पोर्ट तक व्यापार में वृद्धि
बीते दिनों बांग्लादेश के चटगांव पोर्ट पर एक मालवाहक जहाज पहुंचा, जो कराची से दुबई होते हुए आया था। यह पिछले कुछ दिनों में दूसरा जहाज है जो पाकिस्तान से बांग्लादेश की जलसीमा में दाखिल हुआ।
- जहाज में 811 कंटेनर थे, जिनमें सोडा एश, डोलोमाइट, मार्बल ब्लॉक्स, चीनी, कपड़ों का कच्चा माल और इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद शामिल थे।
- यह घटना डी-8 इस्लामिक समिट के तुरंत बाद हुई, जहां बांग्लादेश के नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बीच मुलाकात हुई थी।
भारत के साथ व्यापार पर दबाव और शिपिंग पॉलिसी में बदलाव की संभावना
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश के व्यापारियों पर सरकारी एजेंसियों की ओर से यह दबाव डाला जा रहा है कि वे भारत के बजाय पाकिस्तान से व्यापार करें।
- चटगांव और मोंगला पोर्ट पर भारतीय जहाजों के प्रवेश पर रोक लगाने का विचार चल रहा है।
- यह कदम भारत के लिए बंगाल की खाड़ी में रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से गंभीर चुनौती बन सकता है।
चटगांव पोर्ट का रणनीतिक महत्व और सुरक्षा चिंताएं
चटगांव पोर्ट भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और बंगाल की खाड़ी में भारत की रणनीतिक पहुंच के लिए बेहद अहम है।
- शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार ने भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा दिया था और भारत को संवेदनशील मामलों में सहयोग भी दिया था।
- 2004 में, इसी पोर्ट पर 1500 डिब्बों में चीनी हथियार पकड़े गए थे।
- सरकार का मानना था कि ये हथियार आईएसआई द्वारा भेजे गए थे और इन्हें उल्फा जैसे उग्रवादी संगठनों को दिया जाना था।
- पाकिस्तान की एजेंसियां पूर्वोत्तर भारत, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी संगठनों और आतंकवाद को बढ़ावा देती रही हैं।
पाकिस्तानी जहाजों की चेकिंग नियमों में ढील
सितंबर 2023 में, बांग्लादेश ने वह नियम खत्म कर दिया, जिसके तहत पाकिस्तानी जहाजों की फिजिकल चेकिंग अनिवार्य थी।
- इस बदलाव से अवांछित और संवेदनशील सामग्री की आवाजाही आसान हो गई है।
- यह निर्णय भारत की सुरक्षा चिंताओं को और बढ़ा सकता है।
इस्लामिक चरमपंथ और भारत के लिए खतरे
बांग्लादेश में इस्लामिक चरमपंथियों के बढ़ते प्रभाव ने भारत के लिए अतिरिक्त चिंताएं पैदा कर दी हैं।
- पाकिस्तान के साथ बढ़ते संबंध और इस्लामिक कट्टरपंथियों की ताकत पूर्वोत्तर भारत में अशांति फैलाने का माध्यम बन सकती है।
- चरमपंथी गुटों का समर्थन पाकिस्तान की रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
भारत के लिए संभावित चुनौतियां
- बांग्लादेश-पाकिस्तान संबंधों में मजबूती:
दोनों देशों के बीच व्यापार और राजनयिक संबंधों का बढ़ना भारत के रणनीतिक हितों के लिए हानिकारक हो सकता है। - चटगांव पोर्ट पर भारतीय व्यापार की समाप्ति:
यह भारत के आर्थिक और सामरिक हितों को सीधा नुकसान पहुंचा सकता है। - कट्टरपंथी ताकतों का सहयोग:
बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच नजदीकी, भारत में आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा दे सकती है। - आर्थिक दबाव:
बांग्लादेश में भारत से आयात घटने से दोनों देशों के व्यापारिक संबंध कमजोर हो सकते हैं।
क्या हो सकता है भारत का कदम?
- कूटनीतिक संवाद:
भारत को बांग्लादेश के साथ उच्च स्तर पर संवाद स्थापित कर चिंताओं को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। - विकल्प तैयार करना:
चटगांव पोर्ट के विकल्प के रूप में अन्य बंदरगाहों पर निर्भरता बढ़ाई जा सकती है। - व्यापारिक प्रोत्साहन:
भारतीय व्यापारियों को बांग्लादेश के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। - सुरक्षा उपाय:
कट्टरपंथी ताकतों के संभावित प्रभाव को रोकने के लिए भारत को सीमा पर सुरक्षा कड़ी करनी होगी।