पाकिस्तान में एक उम्मीद की किरण: मां-बच्चे का स्कूल

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पड़ोसी देश पाकिस्तान में आए दिन मुश्किल हालात और नकारात्मक खबरें सुर्खियों में रहती हैं। महंगाई, राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक संघर्षों ने वहां की जनता को परेशान कर रखा है। लेकिन इन सबके बीच कराची से एक सकारात्मक और प्रेरणादायक खबर आई है। कराची के ल्यारी इलाके में सबीना खत्री द्वारा शुरू किया गया एक स्कूल न केवल बच्चों को बल्कि उनकी माताओं को भी शिक्षा और जीवन कौशल का अवसर प्रदान कर रहा है।

मां-बच्चे के लिए अनोखा स्कूल

इस स्कूल की सबसे खास बात यह है कि यहां बच्चों के साथ उनकी माताओं का भी दाखिला होता है। यह स्कूल उन परिवारों के लिए है, जो अभाव और संघर्षों से गुजर रहे हैं। सबीना खत्री ने अपने जीवन के संघर्षों से प्रेरणा लेकर इस अनोखे स्कूल की स्थापना की। उनका कहना है,

“मेरे स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों ने अपने घरों और बाहर हिंसा और कठिनाइयों को करीब से देखा है। मैंने महसूस किया कि इन घरों की माताओं की स्थिति भी बच्चों से अलग नहीं है। इसलिए, मैंने नियम बनाया कि बच्चे के साथ उनकी मां भी स्कूल में दाखिला लेंगी।”

यह स्कूल न केवल बच्चों को शिक्षा देता है बल्कि उनकी माताओं के लिए काउंसलिंग, लाइफ स्किल्स ट्रेनिंग, और पालन-पोषण की ट्रेनिंग भी प्रदान करता है।

माताओं के जीवन में बदलाव

स्कूल में अपने बेटे के साथ दाखिला लेने वाली तहमीना की कहानी इसका बेहतरीन उदाहरण है। सोलह साल की उम्र में शादी और अगले साल अलगाव के बाद, तहमीना अकेले अपने बच्चे की परवरिश कर रही थीं। स्कूल में आने के बाद उनका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हुआ है। वह अपने और अपने बच्चे के भविष्य को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने लगी हैं।

पायल कपाड़िया: भारतीय सिनेमा की नई पहचान

भारतीय सिनेमा के लिए गर्व का पल तब आया जब मुंबई की फिल्म निर्देशक पायल कपाड़िया की फिल्म ऑल वी इमेजिन इज लाइट को 88वें गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड्स में सर्वश्रेष्ठ मोशन पिक्चर की श्रेणी में नामांकित किया गया। यह नामांकन उन्हें पहली भारतीय महिला निर्देशक के रूप में खास पहचान देता है।

फिल्म का विषय और पृष्ठभूमि

पायल की यह फिल्म केरल से मुंबई आई नर्सों के जीवन, उनकी दोस्ती और संघर्षों पर आधारित है। इससे पहले, यह फिल्म कान फिल्म समारोह में भी अवॉर्ड जीत चुकी है। पायल ने पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट से निर्देशन की पढ़ाई की और अपने करियर की शुरुआत में कई लघु फिल्में बनाईं।

“पायल का यह सफर भारतीय लड़कियों के लिए प्रेरणास्त्रोत है, जो विचारशील और अलग तरीके की फिल्में बनाना चाहती हैं।”

शाकाहार: उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने का राज

हाल ही में हेल्थ जर्नल न्यूट्रीएंट्स में प्रकाशित एक अध्ययन में यह दावा किया गया है कि 50 साल की उम्र के बाद शाकाहारी आहार महिलाओं की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकता है।

अध्ययन के नतीजे

इस शोध में 1398 महिलाओं को शामिल किया गया, जिनमें से 23% महिलाओं ने माना कि प्लांट-बेस्ड आहार अपनाने के बाद उनके शरीर में सकारात्मक बदलाव आए।

  • त्वचा में निखार
  • मजबूत मांसपेशियां
  • बेहतर शारीरिक क्षमता

विशेषज्ञों की राय

  • शाकाहारी आहार में बीन्स, सूखे मेवे, और वेजिटेबल ऑयल को प्राथमिकता दें।
  • मांसाहार में केवल अंडा और मछली को सेहतमंद विकल्प माना गया।

शाकाहार का महत्व

शाकाहारी जीवनशैली न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है बल्कि मानसिक संतुलन बनाए रखने में भी मदद करती है। यह अध्ययन महिलाओं के लिए एक स्वस्थ और खुशहाल जीवनशैली की दिशा में बड़ा संदेश देता है।